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अमिताभ बच्चन ने सैकड़ों फिल्मों में हीरो के किरदार को जिया है फिल्मों कभी वो करप्ट सिस्टम से लड़ते हुए दिखाई दिए है तो कभी गरीब समाज के हीरो एंग्री यंगमैन के किरदार में नजर आए हैं। कभी मोहब्बतें में एक लडकी के ओवर प्रोटेक्टिड़ बाप की भूमिका के नजर आए हैं । लेकिन अमिताभ से रील लाइफ के हीरो ही नहीं हैं बल्कि रियल लाइफ के हीरो भी है चलिए आज आपको हम बताते हैं कि एंग्रीयंगमैन कैसे रियल लाइफ के हीरो हैं।
जब अमिताभ ने अपने करियर में जंजीर, डॉन, दीवार, शोले जैसी हिट फिल्म कर चुके थे तो 1995 में उन्होंने एबीसीएल यानि अमिताभ बच्चन कॉर्पोरेशन लिमिटेड की स्थापना की और कम्पनी के प्रोमोटर खुद और अपनी पत्नी जया बच्चन को बनाया । बच्चन फिल्म जगत के ऐसे सितारे थे जो कॉर्पोरेट जगत में उगते ही धड़ाम से गिरे । उनकी कम्पनी के शुरू होते है कम्पनी ऐसे घाटे में फंसी की अमिताभ दिवालिया होने के कगार पर आ गए। एबीसीएल के शुरूआती दिनों में ही उन्हें बीआईएफआर (औद्योगिक व वित्तीय पुनर्गठन मंडल में शरण लेनी पड़ी। साहूकारों ने अमिताभ बच्चन पर एक के बाद एक मुकदमे करने शुरू कर दिए उनकी चमचमाती छवि के लिए ये एक धक्का था। मीडिया में भी उनके सितारे डूबने की काल्पनिक कहांनिया खूब लिखी जाने लगी।
एबीसीएल की स्थापना
अमिताभ बच्चन ने एबीसीएल की स्थापना 1995 में की। कम्पनी के प्रमोटरों में अमिताभ और उनकी पत्नी जया बच्चन थे कम्पनी के दोनों प्रमोटरों की ब्रांड वैल्यु 15 करोड़ और तीन करोड़ रुपए थे यही एबीसीएल की प्रारम्भिक पूंजी थी। जरवरी में इन्वैस्टमेंट बैंकर कोटक महिन्द्रा ने बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों से 70 रुपए के प्रीमीयम पर एबीसीएल के लिए 70 करोड़ रुपए जुटाए। कम्पनी के कामों में “ फिल्म बनाना, फिल्म डिस्ट्रीब्यूशन , म्यूजिक राइट्स खरीदना म्यूजिक राइट्स बेचना , इवेंट्स करवाना , टीवी प्रोग्राम बनाना” आदि शामिल थे । हिदुस्तान लीवर के एक्स एम्पलॉयी संजीव गुप्ता के नेतृत्व में एक प्रोफेशनल्स की टीम कम्पनी के कामों को देखने लगी। पहले साल कम्पनी ने अच्छा काम किया लेकिन दूसरे साल से ही कम्पनी नगदी के लिए जूझने लगी। और अमिताभ के ब्रांड पर आंच आने लगी । फिल्म इंडस्ट्री में सरेआम चर्चा होने लगी कि अब ब्रांड अमिताभ पहले की तरह बिकाऊ नहीं रहा है। उनकी ब्रांड इक्विटी के बिना एबीसीएल का मूल्य शून्य था कम्पनी बुरी तरह कर्ज में फंस चुकी थी । कर्जदाता बैचेन हो उठे थे और वसूली लिए मुकदमे होने लगे थे।
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अमिताभ बच्चन ने दैनिक भास्कर की पत्रिका अहा को दिए अपने इंटरव्यू में कहा था कि “मैं व्यवहारकुशल कतई नहीं रहा और उसी का नतीजा था लेन-देन का हिसाब- किताब मुझसे संभल नहीं पाया। एबीसीएल में अजिताभ यह सब देख लेते थे, लेकिन उनके अपने कारोबार के सिलसिले में लंदन जा बसने के कारण मैने सारी चीजें मैनेजरों के विश्वास में छोड़ दी । नतीजा ऐसा हुआ कि वास्तविक नियंत्रण नहीं रह पाया। कंपनी फेल हो गई और करोड़ों का कर्जा चढ़ गया। मैं दिन-रात सोचने लगा कि यह सब कैसे, कब और क्यूं होता चला गया। मुझे लगा कि जिन तीसरे हाथों पर मैं पूरा विश्वास करता था, वे मुझे घुन की तरह कुतर-कुतर कर खा रहे थे। 90 करोड़ का कर्ज मेरे सिर पर था। अदालतों में पचपन केस लग गए। मेरे पास केवल एक घर बचा था। और उस पर भी कुर्की का आदेश था ”।
एंग्रीयंगमैन उठ खड़ा हुआ औऱ मिसाल बन गया
90 करोड़ के कर्ज में डूबे अमिताभ के एक जिद थी कि पाई पाई चुकाउंगा। अमिताभ बच्चन काम मांगने के लिए अपने पुराने दोस्त यश चोपड़ा के पास पंहुचे नतीजा “मोहब्बतें” मिली । इंडिया टूड़े को दिए अपने इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि “ दुर्दिनों में एक दिन मैंने खुद से पूछा कि मैं क्या कर रहा हूं फिर मैं यश जी के पास गया मैंने कहा काम चाहिए और परिणाम जन्मी मोहब्बतें”

मोहब्बतें बन रही थी कि स्टार प्लस ने “कौन बनेगा करोड़पति” के लिए सम्पर्क किया , लोगों ने कहा कि महानायक का छोटे पर्दे पर जाना बड़ी भूल होगी लेकिन अमिताभ कर्ज के पैसे को चुकाने के लिए बेताब थे। “कौन बनेगा करोड़पति” के लिए हरेक एपीसोड के लिए 30 लाख रूपए बतौर फीस मिल रहे थे अमिताभ ने हां कर दी । इस शो ने कई लोगों को लखपति और करोड़पति बनाया है और इसी शो के वजह से महानायक दुर्दिनों से बाहर निकले हैं। मोहब्बतें के बात अमिताभ बच्चन की दूसरी पारी शुरू हुई और अपने दमदार किरदारों की वजह से वो सदी के महानायक कहलाए।
रील लाइफ में संघर्ष करके अपने हक़ की लड़ाई लड़ने वाले अमिताभ बच्चन रियल लाइफ में भी जुझारूपन की जिंदा मिसाल बन गए।
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