मेरठ के अस्पताल का विज्ञापन , मुस्लिम कोरोना वायरस की नेगेटिव जांच रिपोर्ट साथ में लाएं
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मेरठ- मेरठ के एक कैंसर अस्पताल ने दैनिक जागरण अखबार में एक विज्ञापन प्रकाशित किया है विज्ञापन में कहा गया है कि अस्पताल जब तक नए मुस्लिम मरीजों को भर्ती नहीं करेगा जब तक कि मरीज और उसका केयरटेकर कोरोना की निगेटिव टेस्ट रिजल्ट नहीं लाते हैं।
अस्पताल ने 17 मार्च को दिए अपने विज्ञापन में कहा, ‘हमारे यहां भी कई मुस्लिम रोगी नियमों व निर्देशों का जैसे मास्क लगाना, एक रोगी के साथ एक तिमारदार, स्वच्छता का ध्यान रखना, का पालन नहीं कर रहे हैं व स्टाफ से अभद्रता कर रहे हैं। अस्पताल के कर्मचारियों एवं रोगियों की सुरक्षा के लिए अस्पताल प्रबंधन चिकित्सा लाभ प्राप्त करने हेतु आने वाले नए मुस्लिम रोगियों से अनुरोध करता है कि स्वयं व एक तिमारदार की कोरोना वायरस संक्रमण की जांच कराकर एवं रिपोर्ट निगेटिव आने पर ही आएं। कोरोना महामारी के जारी रहने तक यह नियम प्रभावी रहेगा।’ यह 50 बेड का कैंसर का अस्पताल है
विज्ञापन में लिखा गया, ‘अस्पताल प्रबंधन समझता है कि केवल कुछ मुस्लिम भाईयों की अज्ञानता एवं दुर्भावना के कारण हमारे समस्त मुस्लिम भाईयों को कुछ समय के लिए कष्ट सहना पड़ रहा है। परन्तु जनहित एवं स्वयं मुस्लिम भाईयों के हित में यह आवश्यक है। हमारे हजारों मुस्लिम भाई-बहन जिनका हमने उपचार किया है व कैंसर से निजात पा चुके हैं, वे जानते हैं कि प्रारंभ से ही हमारी चिकित्सा सेवा और समपर्ण में कोई भेदभाव नहीं रहा है व हमारे उनके साथ पारिवारिक संबंध भी बन गए हैं।’ इस अस्पताल में मेरठ, सरधना और मुज़फ्फरनगर सहित मेरठ के आस पास के लोग यहां इलाज कराने आते हैं ।
अस्पताल प्रशासन का दावा है कि तब्लीगी जमात से जुड़े लोगों की वजह से कोरोना संक्रमण की अप्रत्याशित वृद्धि हुई है एवं मरने वालों की संख्या लगभग बढ़ती जा रही है।अस्पताल में रेडिएशन ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. अमित जैन ने कहा, ‘मेरठ में तब्लीगी जमात से जुड़े दो मामले सामने आए हैं।’ जैन ने कहा, ‘ये स्पष्ट है कि मेरठ में सभी कोरोना के मामले मुस्लिम बहुल इलाकों से आ रहे हैं। इसलिए इनकी पहचान करना आसान है। अगर यहां के लोग बिना टेस्ट कराए अस्पताल में आते हैं तो इससे अन्य डाक्टरों और मरीजों को खतरा होगा।’ उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि कोरोना टेस्ट कराने की बाध्यता मुस्लिम बहुत क्षेत्रों में रह रहे अन्य समुदाय के लोगों पर नहीं है। जैन ने कहा, ‘इन इलाकों में अन्य समुदाय के लोग बहुत कम हैं। मैं ये नहीं कह रहा है कि अन्य धर्म के लोगों को बीमारी नहीं हो सकती है।
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वैलेंटिस कैंसर अस्पताल ने अपने विज्ञापन में कहा है कि तब्लीगी जमात से जुड़े लोगों की जानकारी एवं जांच करने गए स्वास्थ्यकर्मियों व पुलिस से मेरठ में भी असहयोग एवं अमर्यादित व्यवहार किया जा रहा है । पत्थर फेंककर भगाया जा रहा है। इन कारणों से सभी अस्पताल के चिकित्सक, नर्स एवं स्टाफ भी भयभीत हैं और उनका मनोबल गिरा है।
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अस्पताल ने यह भी कहा कि जिन रोगियों को अस्पताल में तुरंत भर्ती की आवश्यकता है, उनका तुरंत उपचार किया जाएगा। लेकिन उनका व एक तिमारदार की कोरोना संक्रमण जांच की राशि का भुगतान उन्हें करना होगा।
चिकित्सा अधिकारी ने कार्रवाई की चेतावनी दी
इस मामले को लेकर मेरठ पुलिस ने ट्विटर पर कहा कि उन्होंने इस संबंध में इंचौली पुलिस को कार्रवाई करने के लिए कहा है।वहीं मेरठ जिला प्रशासन ने रविवार को निर्देश दिया कि अस्पताल इस पर मांफी मांगे, नहीं तो लाइसेंस रद्द कर दिया जाएगा। मेरठ के मुख्य चिकित्सा अधिकारी राज कुमार ने कहा, ‘धर्म के आधार पर भेदभाव कर अस्पताल ने चिकित्सा नैतिकता का उल्लंघन किया है। हम अस्पताल को नोटिस जारी करेंगे और उन्हें सार्वजनिक रूप से मांफी मांगनी होगी। अगर वे ऐसा नहीं करते हैं तो उनका लाइसेंस रद्द कर दिया जाएगा।’
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