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नई दिल्ली- अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भारतीय पीएम को फोन कर जी-7 देशों के विस्तार पर चर्चा की और भारत को इसमें शामिल होने का न्यौता दिया । जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वीकार कर लिया है । हाल में ही अमेरिकी राष्ट्रपति ने जी-7 देशों की बैठक को स्थगित कर दिया था और कहा था कि अमेरिका चाहता है कि भारत , रुस , दक्षिण कोरिया और ऑस्ट्रेलिया भी इस ग्रुप में शामिल हो। इसके अलावा दोनों नेताओं के बीच कोविड-19 को लेकर भी चर्चा हुई ।
विदेश मंत्रालय के अनुसार लद्दाख में चीन के साथ चल रही तनातनी को लेकर भी प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति टम्प के बीच चर्चा हुई। इससे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प पत्रकार वार्ता में कह चुके है कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लद्दाख की गालवान घाटी में चीन के साथ चल रही तनातनी को लेकर अच्छे मूड़ में नहीं हैं। विदेश मंत्रालय के अनुसार वार्ता का एजेंडा काफी व्यापक रहा। जी-7 देशों के संगठन को विस्तार देने से ले कर कई अमेरिकी शहरों में हिंसा भड़कने व वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन (डब्लूएचओ) में बड़े सुधार के तमाम विकल्पों पर भी दोनो के बीच विमर्श हुआ है।विदेश मंत्रालय की तरफ से दी गई जानकारी के मुताबिक टेलीफोन कॉल के दौरान राष्ट्रपति ट्रंप ने जी-7 देशों के मौजूदा संगठन को विस्तार देने की अपनी मंशा सामने रखी। उन्होंने बताया कि किस तरह से अमेरिका चाहता है कि इसमें भारत समेत दूसरे महत्वपूर्ण देश शामिल हों। ट्रंप ने नए संगठन की बैठक सितंबर, 2020 में आयोजित करने की बात करते हुए पीएम मोदी को उसमें शामिल होने के लिए आमंत्रित भी किया। संकेत है कि पीएम मोदी ने आमंत्रण स्वीकार कर लिया है। मोदी ने इस प्रस्ताव को एक दूरदर्शी कदम बताते हुए स्वागत किया है।
ट्रम्प-मोदी के बीच भारत-चीन सीमा विवाद पर बात
बातचीत के दौरान भारत-चीन सीमा विवाद का मुद्दा भी उठा। यह बहुत ही अहम विषय है क्योंकि अमेरिकी राष्ट्रपति पिछले हफ्ते दो बार भारत-चीन सीमा विवाद का जिक्र कर चुके हैं। पहले उन्होंने इसमें हस्तक्षेप करने की बात कही जिसे चीन खारिज कर चुका है। उसके बाद उन्होंने यह दावा किया कि पीएम मोदी का मूड चीन को लेकर खराब है। पूर्वी लद्दाख के गालवन इलाके में पिछले एक महीने से चीन व भारत की सेनाओं के बीच तनाव का माहौल है। दोनो तरफ से लगातार सैनिकों की संख्या बढ़ाई जा रही है।
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दोनो देशों की चीन पर नजर
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ट्रम्प लगातार चीन के खिलाफ बयान दे रहे हैं। अमेरिका , ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन भी चीन के खिलाफ खुलकर बयान दे रहे हैं। इसे दोनों नेताओं की बातचीत बहुत महत्वपूर्ण हो जाती है। अमेरिका के विदेशमंत्री माइक पोम्पियो ने भी चीन की विस्तारवादी नीतियों का आलोचना की थी । उन्होंने कहा था कि चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की विस्तारवादी नीति आक्रामक हैं और अमेरिका सभी मामलों पर नजर बनाए हुए हैं।
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