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नई दिल्ली- भारत ने पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर जारी विवाद के निपटारे के लिए शनिवार को हुई बातचीत में चीन से साफ कर दिया कि चीन को पुरानी स्थिति में लौटना ही होगा। समाचार एजेंसी आइएएनएस के सूत्रों के अनुसार भारत ने चीन से अपने जवानों को इलाके से हटाने की मांग की है। हालांकि सेना की ओर से आधिकारिक तौर पर अभी तक कोई भी बयान सामने नहीं आया है ना तो इसकी पुष्टि हुई है। भारत ने चीन को स्पष्ट कर दिया है कि जब तक चीनी सैनिक एलएसी का सम्मान करते हुए पीछे नहीं हटते तब तक भारतीय सेना मजबूती से डटी रहेगी। साथ ही भारत ने अपने इलाके में किए जा रहे निर्माण पर चीन की आपत्तियों को भी अनुचित बताया है। मालूम हो कि लद्दाख में एलएसी पर चीन के सबसे गंभीर अतिक्रमण का बातचीत से हल निकालने की दोनों देशों की घोषणा के तहत शनिवार को शीर्ष कमांडर स्तर की सैन्य वार्ता हुई।
सूत्रों के अनुसार बातचीत के दौरान भारत की ओर से पूर्वी लद्दाख में चीनी सेना द्वारा भारी मात्रा में सैन्य बल तैनात करने का मुद्दा उठाया। चीन ने अपनी सेना को पूर्वी लद्दाख में एलएसी के अंदर तक घुसा दिया है, जो फिंगर एरिया, पैंगोंग सो और गालवन नाला इलाके तक आ चुकी हैं। भारत की ओर से इसी का विरोध किया गया है।
बैठक चली साढ़े पांच घन्टे
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चुशूल सेक्टर के सामने चीन के मोल्डो सैन्य बेस में हुई इस बैठक में भारत का नेतृत्व लेह स्थित सेना की 14वीं कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह ने किया और उनके साथ दो ब्रिगेडियर स्तर के अधिकारी भी शामिल थे। चीनी प्रतिनिधिमंडल की अगुआई पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के दक्षिण शिनजियांग सैन्य कमांड के मेजर जनरल लियो लिन ने किया। हालांकि बातचीत को लेकर कोई भी आधिकारिक बयान जारी नहीं हुआ है। बैठक करीब साढ़े पांच घंटे तक चली । बैठक के बाद एक सैन्य प्रवक्ता ने केवल इतना कहा कि भारत और चीन के बीच सैन्य और कूटनीतिक स्तर पर गतिरोध का हल निकालने के लिए वार्ताओं का दौर अभी जारी रहेगा। समझा जाता है कि तीन घंटे से अधिक चली इस बैठक में भारत ने एलएसी पर चीनी अतिक्रमण पर अपनी गंभीर आपत्ति जताते हुए पहले की स्थिति बहाल किए जाने को तनाव खत्म करने के लिए जरूरी बताया है।
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भारत ने साफ कहा कहा कि फिंगर 8 तक पेट्रोलिंग करती रहेगी भारतीय सेना
इस बातचीत में पैंगोंग त्सो झील के फिंगर-4 और फिंगर-8 पर चीनी अतिक्रमण को लेकर भी बातचीत हुई। गालवन घाटी में चीनी सैनिकों के तीन दिन पहले कुछ पीछे हटने के बाद उम्मीद की जा रही है कि इस इलाके का मुददा जल्द सुलझ सकता है। वहीं दोनों फिंगर हाइट पर पीएलए सैनिकों के अचानक घुसपैठ का मसला सुलझने में वक्त लग सकता है। भारत का रुख साफ है कि उसकी टीम फिंगर-8 तक पहले की तरह पैट्रोलिंग करती रहेगी और चीन फिंगर-4 तक ही पैट्रोलिंग को सीमित रखे। पैंगोंग झील को आठ फिंगर क्षेत्रों के हिसाब से विभाजित किया गया है। झील के साथ पहाड़ियों के उभरे हुए हिस्से को ही फिंगर कहा जाता है। अब तक भारत कई फिंगर के क्षेत्र को नियंत्रित करता रहा है। पिछले महीने के शुरू में गतिरोध शुरू होने के बाद भारतीय सैन्य नेतृत्व ने फैसला किया था कि भारतीय सेना के जवान चीनी सेना के आक्रामक रवैये के खिलाफ पैंगोंग सो, गालवन घाटी, डेमचोक और दौलत बेग ओल्डी में कड़ा रुख अपनाएंगे।
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