महामारी के बीच मजदूरों के लिए सरकार की महायोजना
प्रधाममंत्री कार्यालय बना रहा है मजदूरों के लिए जिला स्तर पर योजनाएं
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कोरोना महामारी की बढ़ती भयावहता और लॉकडाउन के बीच देशभर से मजदूर अपने गृह राज्य पहुंच चुके हैं। अब इन प्रवासी मजदूरों के सामने रोजगार की समस्या आ खड़ा हुई है, जिसे ध्यान रखते हुए सरकार ने बेहतरीन योजनाएं तैयार कर ली है। जरुरत और क्षमता के आधार पर इन मजदूरों को उनके गृह राज्य में ही रोजगार प्रदान किया जाएगा। जिससे इनका घर चल सके और सरकार भी अपने लक्ष्य की ओर बढ़ सके।
सरकार के पास लगभग 70 हजार किलोमीटर की ग्रामीण सड़कों के निर्माण और गरीबों के लिए 50 लाख आवास की कार्य योजना है। एक अधिकारी के मुताबिक ग्रामीण विकास मंत्रालय ने राज्यों को बड़ी संख्या में श्रमिकों को काम देने की बात कही है। इतना ही नही प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तीसरे चरण के तहत, लगभग 14 हजार किलोमीटर नई सड़कों का निर्माण किया जाना बाकी है, जबकि पिछले वर्ष का भी कार्य भी रुका हुआ है।
विभिन्न राज्यों में वापस लौटे श्रमिकों की संख्या में 60 फीसदी से अधिक मजदूर निर्माण कार्यों से जुड़े हैं। विशेष कार्यदल के मौजूद होने से सरकार को सड़कों के निर्माण के अपने सलाना लक्ष्य और प्रधानमंत्री आवास योजना को ठीक समय से पूरा करने में मदद मिलेगी। सूत्रों ने बताया कि मकान बनाने के लिए पहले से ही बजट का प्रावधान किया गया था। उन्होंने कहा कि निर्माण श्रमिकों को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मकान बनाने के लिए 90-95 दिन की मजदूरी मिल सकती है। ग्रामीण सड़क योजना के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, स्वीकृत 174,000 सड़क कार्यों में से 157,000 पूरे हो चुके हैं।
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इसी तरह, प्रधानमंत्री आवास योजना में भी वित्तीय वर्ष 19-20 में 61 लाख 50 हजार घरों का लक्ष्य तय किया गया था। अब तक अनुमानित दो लाख घरों को मंजूरी दी गई है। मंत्रालय के पास मौजूद आंकड़ों के मुताबिक, अब तक एक भी घर निर्माण का कार्य पूरा नहीं हुआ है। जानकारों का मानना है की तालाबंदी और महामारी की वजह से देरी हुई।
गांवों के तरक्की के लिए यह दोनों ही योजनाएं महत्वपुर्ण मानी जा रही हैं। जहां प्रधानमंत्री आवास योजना से समाज के हर व्यक्ति को भी अपना घर मिलेगा तो सड़कों का जाल देशभर में परिवहन को तो सुगम बनाएगा। इन दो योजनाओं के साथ- साथ सरकार उज्ज्वला योजना पर भी पूरा ध्यान लगा रही है।
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आंकड़ों को तलाशने पर पता चलता है कि देश के कुल प्रवासी मजदूरों में लगभग 90 फीसदी उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, ओडिशा,असम और पश्चिम बंगाल से हैं। चूंकि बड़े स्तर पर ये कामगार अपने राज्यों में वापस लौट गए हैं, ऐसे में उन राज्यों के लिए रोजगार उत्पन्न कर पाना कठिन चुनौती है। इसलिए बागवानी, पशुपालन जैसे क्षेत्रों को उर्जावान बनाने की कोशिश की जाएगी । प्रधानमंत्री कार्यालय जिलास्तर पर योजनाएं बना रहा है। श्रमिकों को उनकी योग्यता के आधार पर चुना जाएगा और विभिन्न मंत्रालयों के अंतर्गत नई योजनाएं तैयार कर रोजगार के अवसर निर्मित किए जाएंगे।
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