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लखनऊ- उत्तर प्रदेश में गोकशी पर कानून कड़ा हो गया है। आदित्यनाथ सरकार ने मंगलवार को यूपी गोवध निवारण (संशोधन) अध्यादेश-2020 को मंजूरी दे दी। इसके अंतर्गत गोकशी के दोषी को 10 साल की जेल की सजा का प्रावधान है । यूपी में गोकशी की तस्करी के अपराधों में सजा अब और कड़ी होगी। सीएम आदित्यनाथ की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई कैबिनेट की बैठक में यूपी गोवध निवारण (संशोधन) अध्यादेश-2020 को मंजूरी दे दी गई। इसके तहत गोवंश की तस्करी पर 10 साल तक की जेल हो सकेगी। इस अधिनियम के तहत दोबारा दोषी पाए जाने पर दोगुनी सजा होगी।
आरोपियों के पोस्टर भी लगेंगे। राज्यपाल की मंजूरी के बाद लागू होगा अध्यादेश। इसके के जरिए यूपी गोवध निवारण अधिनियम में बदलाव कर इसे और कड़ा बनाया जा रहा है। अब तक की कानून में गोकशी या इस नीयत से तस्करी पर न्यूनतम सजा का प्रावधान नहीं है। अब गोकशी पर न्यूनतम 3 साल की सजा और न्यूनतम 3 लाख जुर्माना तय हो गया है। वहीं, गोवंश को अंगभंग करने पर भी कम से कम 1 साल की सजा और 1 लाख का न्यूनतम जुर्माना होगा। इस अध्यादेश को लेकर गौ संरक्षण के लिए काम करने वाले लोगों में खुशी है।
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प्रस्तावित कानून के मुताबिक अगर तस्करी के लिए ले जाया जा रहा गोवंश मौके पर जब्त किया जाता है तो एक साल तक उसके भरण-पोषण के खर्च की वसूली भी अभियुक्त से ही की जाएगी। इस वक्त कानून में गोवंश या उसके मांस को ढोने वाले वाहनों, उनके मालिकों या चालकों पर कार्रवाई को लेकर तस्वीर साफ नहीं थी। अब जब तक वाहन मालिक साबित नहीं कर देंगे कि उन्हें वाहन में प्रतिबंधित मांस की जानकारी नहीं थी, वे भी दोषी माने जाएंगे। वाहन सीज कर दिया जाएगा। इस कानून के तहत सभी अपराध गैरजमानती होंगे।
गली – मोहल्लों में लगेगी अपराधी की तस्वीरें
सरकार गोतस्करी के आरोपियों की सामूहिक फोटो भी लगाएगी । आरोपियों की तस्वीर जिसे मोहल्ले में वह सामान्यता निवास करता हो वहां किसी महत्वपूर्ण स्थान पर लगाई जाएगी। ऐसे किसी सार्वजनिक स्थल पर भी लगाई जा सकती है जहां वहां नियामक संस्थाओं और अधिकारियों से खुद को छिपाता फिरता हो। सरकार का कहना है कि कुल जिलों में गोकशी की बढ़ती घटनाओं और जमानत पर छूटे लोगों द्वारा फिर गोकशी करने की घटनाओं को देखते हुए कानून को सख्त किया गया है। इससे गोवंशीय पशुओं के संरक्षण में मदद मिलेगी।
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