महानदी में दिखाई दे रहा है 500 साल पुराना मंदिर , दूर दूर से लोग पंहुच रहे हैं दर्शन करने
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भुवनेश्वर- नयागड़ जिले के भापुर ब्लॉक पद्मावती के समीप से बहने वाली महानदी में करीबन 500 साल पुराने एक गोपीनाथ मंदिर (राधाकृष्ण-विष्णु) के अवशेष दिखाई देने से लोगों चर्चा है। कुछ साल पहले भी इस मंदिर का अग्र भाग नदी का पानी कम हो जाने से दिखाई दिया था, इस साल मंदिर का कुछ भाग पुन: दिख रहा है।अब इस जगह पर लोगों की भीड़ भी जम रही है। पद्मावती गांव के लोग तथा इतिहासकारों के मुताबिक पहले इस जगह पर पद्मावती गांव था। यह पद्मावती गांव का मंदिर है।
महानदी के रास्ता बदलने के कारण 1933 में पद्मावती गांव सम्पूर्ण रूप से महानदी में समा गया था। नदी को रास्ता बदलकर पद्मावती गांव को अपने गर्भ में लेने में 30 से 40 साल का समय लगा। धीरे-धीरे पद्मावती गांव ने गहरे जल में समाधि ले ली। पद्मावती गांव के लोग वहां से स्थानान्तरित होकर रगड़ीपड़ा, टिकिरीपड़ा, बीजीपुर, हेमन्तपाटणा, पद्मावती (नया) आदि गांव में बस गए।
दैनिक जागरण की खबर के अनुसार ‘इंडियन नेशनल ट्रस्ट फार आर्ट एंड कल्चरल हेरीटेज’ (इनटाक) के ‘डाक्यूमेंटेशन ऑफ दि हेरिटेज आफ दि महानदी वैली, प्रोजेक्ट’ के के तहत ऐसे अन्य मंदिरों की खोज भी की जा रही है। इनटाक के वरिष्ठ अन्वेषक अनिल धीर का कहना है कि छत्तीसगढ़ से महानदी के निकलने वाले स्थान से जगतसिंहपुर जिले के पारादीप तक 1700 किमी. (दोनों तरफ) के किनारे से 5 से 7 किमी. के बीच सभी पुरानी कीर्तियों की पहचान की जाएगी। इन तमाम सामग्रियों की रिकार्डिंग की जा रही है। फरवरी महीने में इसकी सूची प्रकाशित की जाएगी।
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धीर ने कहा है कि ओडिशा में ऐसे बहुत से मंदिर हैं पानी में डूबे हुए हैं। इसमें हीराकुद जलभंडार में 65 मंदिर शामिल हैं। नदियों में भी बहुत से मंदिर समाहित हैं, जिनका सर्वे होना चाहिए। कुछ मंदिर अभी भी खड़े हैं और कुछ ढह गए हैं। एक माडल के तौर पर गोपीनाथ मंदिर को पुन: महानदी से निकालकर जमीन में स्थापित किया जाना चाहिए।
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पद्मावती गांव के निवासी सनातन साहू ने कहा है कि सन् 1933 में हमारा गांव सम्पूर्ण रूप से नदी में विलीन हो गया था। उस समय हमारी उम्र 6 साल थी। हम पांच भाई-बहनों ने पद्मावती यूपी स्कूल में शरण ली थी। उस साल बाढ़ आने के साथ नदी गतिपथ बदलकर हम सबके लिए काल बन गई थी।
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