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नई दिल्ली- फिल्म जगत बॉलीवुड का यह दौर मानो बुरे सपने से कम नहीं। शायद ही ऐसा दौर बॉलीवुड के इतिहास में पहले कभी आया होगा। जिसमे बीते छह महीने में कई गहरी चोट बॉलीवुड को लगी हैं । महामारी से लेकर आर्थिक तंगी और एक के बाद एक कलाकारों की मौत से जैसे बॉलीवुड दहल गया है । यह मनहूस दौर सदा लोगों को याद रहेगा । जब लोगों ने अपने कई चहेते सितारों को खो दिया है।
लेकिन जिसकी चर्चा लोगों में हैं वो है नेपोटिज्म । नेपोटिज्म की जड़ें दशकों पुरानी है और दिन ब दिन इसकी जड़ें गहरी ही होती जा रही है। लेकिन इसका खुलासा भी तब होता जब इसकी लहर में उछाल आता है जैसे की आज सुशांत सिंह राजपूत की मौत के रूप में ,पूरा देश इस नौजवान कलाकार की मौत पर शोक व्यक्त कर रहा है और यह जानने में लगा है कि आखिर ऐसी कौन सी मुसीबत आन पड़ी थी जो सुशांत सिंह के गले का फांसी फंदा प्यारा लगने लगा था। सोशल मीडिया पर चर्चा आम है कि बॉलीवुड माफिया और नेपोटिज्म ने सुशांत सिंह की जान ली है ।
एक अदद कलाकार जानता है कि बॉलीवुड पर कब्जा जमाए बैठे माफियाओं के दुराव का शिकार होगा। कुछ समझौता कर लेते हैं कुछ अड़े रहते हैं । अड़ने वालों को बॉलीवुड माफिया खत्म कर देता है । जैसे सुशांत सिंह को बालाजी , टी सीरीज, नाडियावाला फिल्म में बैन कराकर खत्म कर दिया ।। आज कि सच्चाई ये है कि बॉलीवुड के 80 फीसदी कलाकार के अपने बाप और मां के दम पर भी कलाकार बने हुए हैं उन लोगों का वातावरण(amtmosphere) मानों देवताओं के श्रेणी हो चला है। जिसमें निचले स्तर से उठा हुआ मानव अगर उस श्रेणी का हिस्सा बनना चाहे ,तो अन्दर का देवता पुछता है तेरी हद क्या है । ऐसा लगता है मानो इंडस्ट्री कोई खास ढांचा तैयार कर रखा है , कि निचले क्रम के कलाकारों को इसमें फिट होना होगाऔर ऐसा नही होने पर कैरियर से हाथ धोना पड़ता है । बॉलीवुड में भेदभाव चरम पर है इसकी साक्ष्य कंगना रनौत , सुशांत के मौत का जिक्र कर अंदर कि कहानी कहती है – “सुशांत सिंह राजपूत की मौत ने सभी को हिला कर रख दिया है। मगर अभी भी कुछ लोग इस तरह की बातें कर रहे हैं कि जिनका दिमाग कमजोर होता है वो लोग सुसाइड करते हैं। जो बंदा इंजीनियरिंग में रैंक होल्डर है उसका दिमाग कमजोर कैसे हो सकता है। उनकी कुछ पिछली फिल्मों के बारे में उन्होंने लिखा है कि उनका कोई गॉड फादर नहीं है। उन्हें इंडस्ट्री से निकाल दिया जाएगा।”
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कंगना ने इंडस्ट्री के लोगों को लताड़ लगाते हुए कहा है कि गली व्बॉय जैसी वाहियात फ़िल्म को सारे अवॉर्ड मिलते हैं। छिछोरे बेस्ट डायरेक्टर की बेस्ट फ़िल्म है, उसे कोई एकनॉलिजमेंट नहीं मिलता। कंगना अपना उदाहरण देते हुए कहती हैं कि मैं जो फ़िल्में डायरेक्ट करती हूं। उन सुपरहिट फ़िल्मों को यह फ्लॉप घोषित कर देते हैं। मुझ पर छह केसे क्यों डाले गये। मुझे जेल में डालने की कोशिश की गयी। इनके चमचे जर्नलिस्ट सुशांत पर ब्लाइंड आइटम लिखते हैं कि वो साइकोटिक है।
कंगना कहती हैं कि सुशांत की गलती यही है कि वो उनकी बात मान गया। उन्होंने कहा कि तुम वर्थलेस हो, तो उसने मान लिया। वो चाहते हैं कि वो इतिहास लिखें। वो यह लिखें कि सुशांत कमज़ोर दिमाग का था। वो यह नहीं बताएंगे कि सच्चाई क्या है। तो हमें यह डिसाइड करना है कि इतिहास कौन लिखेगा। कंगना कहती हैं कि हमें आपसे फ़िल्में नहीं चाहिए। लेकिन हमारी जो फ़िल्में हैं, उन्हें तो अहमियत दीजिए।
इसके साथ ही फिल्म कलाकार निर्देशक शेखर कपूर ने अपने ट्वीटर पोस्ट में कहा ‘तुम जिस दर्द से गुजर रहे थे उसका मुझे एहसास था ।जिन लोगों ने तुम्हें कमजोर बनाया और जिनके कारण तुम मेरे कंधे पर सिर रखकर आंसू बहाते थे, उनकी कहानी मैं जानता हूं। काश पिछले 6 महीने मैं तुम्हारे साथ होता। काश तुमने मुझसे बात की होती. जो कुछ भी हुआ वो किसी और के कर्म थे, तुम्हारे नहीं’।
I knew the pain you were going through. I knew the story of the people that let you down so bad that you would weep on my shoulder. I wish Iwas around the last 6 months. I wish you had reached out to me. What happened to you was their Karma. Not yours. #SushantSinghRajput
— Shekhar Kapur (@shekharkapur) June 15, 2020
इन सब बातों से साफ पता चलता है सुशांत के मौत कि कोई तो बुनियादी जड़े है लेकिन जिस ओर इशारा कर रहे है कुछ कलाकार उस तह तक पुलिस का पहुचना नामुमकिन सा लगता है । भाई भतीजावाद समाज कि कुरीतियां है जो कानून के दायरे में नही आते हैं ।
इस आर्टिकल के लेखक इंद्रजीत यादव हैं
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