चीन ,नेपाल और पाकिस्तान से चल रही तनातनी के बीच इस्लामिक संगठन का काश्मीर मुद्दे पर हो रही बैठक
ओआईसी की बैठक उस वक्त हो रही है जब भारत और दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था चीन के बीच तनाव है।
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नई दिल्ली- इस्लामिक देशों का संगठन (ओआईसी) आज जम्मू कश्मीर पर आपातकालीन बैठक करने जा रहा है। यह बैठक कॉन्टैक्ट ग्रुप की है जिसे ओआईसी ने जम्मू-कश्मीर के लिए 1994 में बनाया था। इस कॉन्टैक्ट ग्रुप के सदस्य हैं- अज़रबैजान, नीज़ेर, पाकिस्तान, सऊदी अरब और तुर्की। इस बैठक का इंतजार पाकिस्तान लंबे समय से कर रहा था। ओआईसी की बैठक उस वक्त हो रही है जब भारत और दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था चीन के बीच तनाव है। सरहद पर भारत के 20 सैनिकों की मौत हुई है। नेपाल के साथ भी सीमा पर विवाद चल रहा है और पाकिस्तान के साथ तनाव तो पहले से ही है। ऐसे में ओआईसी की बैठक काफ़ी महत्वपुर्ण मानी जा रही है।

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ओआईसी के सेक्रेटरी जनरल डॉ. युसूफ अल ओथाईमीन का कहना है कि यह मुलाकात जम्मू-कश्मीर मुद्दे के समाधान के लिए हो रहीं है। ओआईसी संगठन में 67 देश शामिल हैं और इसे मुस्लिम दुनिया की आवाज माना जाता है। इससे पहले, सितंबर महीने में भी जम्मू-कश्मीर कॉन्टैक्ट ग्रुप के सदस्य देशों ने कश्मीर मुद्दे पर एक बैठक बुलाई थी और कश्मीर के हालात को लेकर चिंता जताई थी।
जम्मू कश्मीर पर ओआईसी के इस कॉन्टैक्ट ग्रुप में सऊदी अरब भी है। अगर सऊदी अरब बैठक नहीं चाहता तो शायद ही यह हो पाती. कहा जाता है कि सऊदी अरब के बिना ओआईसी में एक पत्ता भी नहीं हिलता है
संयुक्त अरब अमीरात ने तो यहाँ तक कह दिया था कि यह भारत का आंतरिक मुद्दा है. सऊदी अरब और यूएई के इस रुख़ को पाकिस्तान के लिए झटका माना जा रहा था और भारत की कूटनीतिक क़ामयाबी. लेकिन एक बार फिर ओआईसी में इस तरह की बैठक होना पाकिस्तान इसे अपनी कामयाबी से जोड़कर देखेगा. इससे पहले पिछले साल सितंबर में ऐसी बैठक हुई थी।
दरअसल, भारत ने पिछले साल 05 अगस्त को जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा धारा 370 को खत्म किया था तो चीन और पाकिस्तान दोनों ने ही इसे विरोध किया था। इधर भारत और सऊदी के रिश्ते अच्छे हैं लेकिन सऊदी के चीन के साथ और भी बेहतर रिश्ता माना जा रहा हैं। चीन और भारत में सऊदी को किसी एक को चुनना हो तो यह उसके लिए आसान नहीं होगा। अपनी जरूरत के तेल का बड़ा हिस्सा चीन सऊदी से ही खरीदता है। ऐसे में भारत और चीन में तनाव है तो सऊदी अरब चीन और पाकिस्तान को नाराज करने का जोखिम नहीं उठाना चाहता है।
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