कल भगवान जगन्नाथ की यात्रा निकलेगी या नहीं ? सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी
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उड़ीसा-महाप्रभु श्री जगन्नाथ जी की विश्व प्रसिद्ध रथायात्रा को लेकर एक तरफ जहां देश की सर्वोच्च अदालत में सुनवाई जारी है, तो वहीं दूसरी तरफ रथयात्रा को लेकर नीति नियम बदस्तूर जारी है।ओडिशा सरकार की तरफ से रेसीडेंस कमिश्नर संजीव मिश्र ने सुप्रीमकोर्ट में एफिडेविड दिया है कि बिना भक्तों के केवल पुरी में रथयात्रा कराने के लिए राज्य सरकार तैयार है।
केन्द्र ने रथयात्रा की इजाजत मांगते हुए कहा सदियों से चली आ रही परंपरा नहीं रुकनी चाहिए। नियमों के साथ सीमित ढंग से जो पुजारी भगवान जगन्नाथ की सेवा मे लगे हैं और जिनका कोरोना टेस्ट निगेटिव है उन्हे रथयात्रा की इजाजत दी जाए। ये लोगों की आस्था का सवाल है।
चीफ जस्टिस एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली 3 जजों की बेंच इस मामले की सुनवाई कर रही है । इस बीच केंद्र सरकार ने याचिका दायर कर कहा है कि श्रद्धालुओं को शामिल किए बिना यात्रा निकाली जा सकती है। सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि रथयात्रा करोड़ों लोगों की आस्था का मामला है। भगवान जगन्नाथ कल बाहर नहीं आ पाए तो फिर 12 साल तक नहीं निकल पाएंगे, क्योंकि रथयात्रा की यही परंपरा है।
सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि एक दिन का कर्फ्यू लगाकर यात्रा निकाली जा सकती है। ओडिशा सरकार ने भी इसका समर्थन किया है कि कुछ शर्तों के साथ आयोजन हो सकता है।
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सुप्रीम कोर्ट ने 18 जून को ही यात्रा पर रोक लगा दी थी, लेकिन कोर्ट के फैसले के खिलाफ 6 रिव्यू पिटीशन आ गईं। इन पर सुनवाई हो रही है। याचिकाओं में अपील की गई है कि रथयात्रा को बदले रूप में निकालने की परमिशन देने पर विचार किया जाए। पुरी शहर को टोटल शटडाउन कर और जिले में बाहरी लोगों की एंट्री पर रोक लगाकर यात्रा निकालने का प्रस्ताव दिया है।
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परम्परा तोड़ना ठीक नहीं- निश्चलानंद
स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने सुप्रीम कोर्ट से अपील की है कि इस मामले में दोबारा विचार करें। उन्होंने पुरी मठ से जारी अपने बयान में कहा- ‘किसी की यह भावना हो सकती है कि अगर इस संकट में रथयात्रा की परमिशन दी जाए तो भगवान जगन्नाथ कभी माफ नहीं करेंगे, लेकिन सदियों पुरानी परंपरा तोड़ी तो क्या भगवान माफ कर देंगे।’
285 साल पहले मुगलों ने रोकी थी रथयात्रा
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