दिल्ली में दंगा कराने की आरोपी गर्भवती सफ़ूरा जरगर को मानवीय आधार पर ज़मानत
जामिया मिल्लिया इस्लामिया की छात्रा सफ़ूरा ज़रगर को दिल्ली हाईकोर्ट से मिली ज़मानत,, दिल्ली दंगों में साज़िश रचने के आरोप में हई थी गिरफ़्तार
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नई दिल्ली- समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मानवीय आधार पर ज़मानत का विरोध नहीं कर पाए, जिसके कारण अदालत ने ज़मानत दे दी।
आपके बता दें कि सफ़ूरा ज़रगर छह महीने की गर्भवती हैं। सफूरा जरगर के वकील ने चौथी बार उनकी जमानत के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। इससे पहले तीन बार सफूरा की बेल याचिका खारिज की जा चुकी थी। दिल्ली पुलिस ने 22 जून 2020 को हाई कोर्ट में सफूरा जरगर और उसके दिल्ली दंगों में संलिप्तता संबंधित रिपोर्ट पेश किया। पुलिस ने कोर्ट को बताया था कि पूर्वोत्तर दिल्ली में हुए दंगों से जुड़े एक मामले में गिरफ्तार की गई छात्रा सफूरा जरगर ने अशांति पैदा की और राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डाला था।
अपनी स्टेटस रिपोर्ट में, दिल्ली पुलिस ने कहा था कि अभियुक्त सफूरा जरगर न केवल घृणा पैदा करने के लिए षड्यंत्रकारी डिजाइन का हिस्सा थी, बल्कि उसका षड्यंत्र किसी भी तरह के उपयोग से लोगों की मृत्यु और घायल होने का कारण बनता।
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सरकारी आंकड़ों के अनुसार दिल्ली दंगे में कम से कम 53 लोग मारे गए थे। मरने वालों में ज़्यादातर आर्थिक रुप से कमजोर वर्ग के लोग थे। वहीं पुलिस का कहना है कि इन लोगों ने दिल्ली दंगों की साज़िश रची थी।
सफ़ूरा ज़रगर जामिया में होने वाले विरोध प्रदर्शन के लिए बने संगठन जामिया कॉर्डिनेशन कमेटी की सदस्य थीं। सफ़ूरा के अलावा जामिया के ही छात्र मीरान हैदर, जामिया के पूर्व छात्र शिफ़ा को भी पुलिस ने गिरफ़्तार किया है।
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सफूरा जरगर की गिरफ्तारी के बाद से ही उसके गर्भवती होने को लेकर मीडिया गिरोह लगातार विक्टिम कार्ड खेल रहा था। कभी उसके हालातों को गौर करवाते हुए भावनात्मक पोस्ट लिखे जा रहे थे। कभी गर्भवती हथिनी के समान रखते हुए भारत में मातृत्व के प्रति सम्मान पर सवाल उठाए जा रहे थे।
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