राम मंदिर भूमि पूजन से पहले दिखाई नफरत ,जामिया की लदीदा ने कहा – इंशा अल्लाह कभी नहीं भूलेंगे, न माफ करेंगे
उच्चतम न्यायालय से फैसला आने के बाद इस तरह का ट्वीट करना उसका कोर्ट के प्रति उपेक्षा को दर्शाता है। यही नहीं, उसका पिछला फेसबुक पोस्ट कट्टरपंथी इस्लामी चरमपंथ के प्रति उसकी निष्ठा और हिंदुओं के प्रति उसकी घृणा को दर्शाता है।
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नई दिल्ली – अयोध्या भूमि पूजन की तारीख के नजदीक आते ही जिहादी कट्टरपंथियों के नफरत के सुर तेज होने लगे है। जामिया विश्वविद्यालय की लदीदा फरजाना ने अपनी जिहादी मानसिकता को उजागर करते हुए राम मंदिर पर ट्वीट किया है। अपने ट्वीट में फरजाना ने एक तस्वीर साझा की है जो धराशायी बाबरी मस्जिद की है। वहीं इमारत जो इतिहास में हिन्दू भावनाओं के साथ खिलवाड़ कर नफरत की नींव डाली गई थी।
तस्वीर के साथ फरजाना ने लिखा “इंशा अल्लाह, न कभी भूलेंगे, न माफ करेंगे।” भूमि पूजन से कुछ दिनों पहले आए लदीदा के इस पोस्ट को भड़काऊ माना जा सकता है। ये वही लदीदा है जिसके जिहाद के ऐलान पर दिल्ली में खूनी संघर्ष हुए थे।
नवंबर 2019 में आया था राम मंदिर का फैसला
बीते वर्ष के नवंबर महिनें में सर्वोच्च अदालत ने मंदिर के पक्ष में अपना निर्णय दिया। कोर्ट के निर्णय के बाद ही उन्हें उक्त स्थल पर भव्य राम मंदिर का निर्माण करने की अनुमति मिली। उच्चतम न्यायालय के इस फैसले के बाद अब 5 अगस्त को भूमि पूजन का आयोजन किया गया है। अयोध्या में भूमि पूजन समारोह से पहले, लदीदा की बोल अदालत और हिंदुओं के लिए नफरत ही दिखाती है।
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कोर्ट से फैसला आने के बाद इस तरह का ट्वीट करना उसका कोर्ट के प्रति उपेक्षा को दर्शाता है। यही नहीं, उसका पिछला फेसबुक पोस्ट इस्लामी चरमपंथ के प्रति उसकी निष्ठा को दर्शाता है।
लदीदा ने सीएए को लेकर भी भड़काऊ भाषण दिए
ज्ञात हो कि लदीदा फरजाना ने दिल्ली की जामिया विश्वविद्यालय में विरोध के दौरान ‘जिहाद’ का आह्वान किया था, जिसके बाद यह विरोध-प्रदर्शन हिंसक हो गया था। लदीदा ने अपने एक पोस्ट में खुले मंच से ’जिहाद’ का आह्वान किया था। अह्वान कर लदीदा ने कहा था कि लोगों को “हमारे जिहाद के बारे में सीखना चाहिए।”
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भारत को मिडिल फिंगर दिखाई
उसने ‘ला इलाहा इल्लल्लाह, मुहम्मद रसूलुल्लाह’ के साथ अपने पोस्ट को समाप्त किया। जिसका मतलब था, “अल्लाह के सिवाय पूजा के योग्य कोई ईश्वर नहीं है,और मुहम्मद उसका दूत है।” अप्रैल 2018 से उसकी एक अन्य पोस्ट में वह भारत को ‘मिडिल फिंगर’ दिखाते हुए देश का अपमान की थी। फरजाना अपनी इस जिहादी मानसिकता को लेकर अक्सर विवादों में रहती है।
लदीदा के जिहाद के आह्वान के बाद भारत के कई हिस्सों, विशेष रूप से दिल्ली और उत्तर प्रदेश में हिंसा भड़क गई थी, जहाँ मुस्लिम भीड़ ने उग्र होकर दंगे को अंजाम दिया। इस दौरान हिंदुओं को निशाना बनाया गया, उनकी संपत्तियों को जलाया गया, क्योंकि उनका मानना था कि सीएए मुस्लिम समुदाय के खिलाफ है।
फरवरी 2020 में हुई हिंसा ने दिल्ली के बड़े इलाके को तबाह कर दिया था। मुस्लिम समुदाय के लोगों ने सीएए के खिलाफ शांतिपूर्ण विरोध के बहाने देश के विभिन्न हिस्सों में दंगा और नफरतें फैलाई।
नागरिकता कानून पास होने के बाद देश भर में इस्लामी कट्टरपंथी संगठनों ने हिंसा भड़कायी। विदेशी-वित्त पोषित गैर-सरकारी संगठनों का एक गठजोड़ देखा गया। शहरी नक्सलियों ने सीएए कानून को रद्द करने के लिए बड़े स्तर पर भड़काऊ भाषण औऱ कड़ी मेहनत किए।
इससे पहले भी लदीदा ने नफरत की कई मिसालें पेश की है। लदीदा के ऐलान से ही दिल्ली, उत्तर प्रदेश और देश के अन्य हिस्सों में हिंसा भड़की थी। अब जब एक बार फिर से राम मंदिर भूमि पूजन से पहले कट्टरपंथी इस्लामी जहर उगलने लगती है, तो यह निश्चित रूप से संदिग्ध है।
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