अनुच्छेद 370 और राम मंदिर के बाद क्या होगा बीजेपी का अगला एजेंडा ?
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नई दिल्ली – 5 अगस्त को अयोध्या मे हुए भूमि पूजन के साथ ही बीजेपी ने अपने घोषणा पत्र में किए वादों में एक और सफलता हासिल कर ली है। इससे पूर्व ठीक एक वर्ष पहले यानी 05 अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर राज्य से विशेष राज्य का दर्जा को खत्म किया था। 5 अगस्त, 2020 को देश की राजनीति ही नहीं बल्कि भारतीय समाज के बीच एक अविस्मरणीय और ऐतिहासिक दिवस के रूप में पहचाना जाएगा। राम मंदिर के साथ ही क्या बीजेपी के सारे सपने साकार हो गए या फिर अभी भी कुछ राजनीतिक लक्ष्य बचे हुए हैं, जिन्हें मूर्त रूप दिया जाना अभी बाकी रह गया है?
स्वतंत्रता आंदोलन के दिनों महात्मा गांधी और जवाहर लाल नेहरू ने कांग्रेस को काफी मजबूत बनाया, जो 1947 आजादी के बाद भी जारी रहा और कांग्रेस का एकछत्र राज पूरी तरह कायम रहा। इसका नतीजा यह रहा कि हिंदू महासभा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अपनी विचारधारा को साकार करने के लिए भारतीय राजनीति में जगह नहीं स्थापित कर पा रहे थे। जनसंघ के जमाने से जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाना एजेंडा में शामिल रहा था, जिसे बीजेपी ने अपनी बुनियाद पड़ने के साथ ही अपना लिया था।
बता दें कि नरेंद्र मोदी सरकार ने 2019 में फिर से सत्ता पर काबिज होने के महज दो महीने के बाद ही अपने घोषणा पत्र को पूरा करने की दिशा में कदम बढ़ाना शुरू कर दिया। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को खत्म करते हुए विशेष राज्य का दर्जा छीन लिया और उसे केंद्र शासित प्रदेश घोषित कर दिया। जनसंघ के दौर से ही बीजेपी 370 खत्म करने की मांग उठाती रही है। मोदी सरकार ने श्यामा प्रसाद मुखर्जी के एक निशान, एक विधान, एक संविधान के सपने को साकार कर दिखाया।
आजतक की रिपोर्ट-अयोध्या में राम मंदिर भी बीजेपी के चुनावी घोषणापत्र में 1989 के पालमपुर अधिवेशन से शामिल था। 90 के दशक में राममंदिर आंदोलन ने बीजेपी को संजीवनी दी, लेकिन पार्टी और संघ का यह सपना मोदी सरकार में अब जाकर साकार हुआ। सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच ने अयोध्या में विवादित जगह पर राम मंदिर के पक्ष में फैसला सुनाया, जिसके बाद मोदी सरकार ने राम मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट का गठन किया और अब मंदिर निर्माण के नींव रखी है। माना जा रहा है कि 2024 से पहले भव्य राममंदिर बनकर तैयार हो जाएगा।
बीजेपी का अगला एजेंडा क्या ?
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राम मंदिर के निर्माण से ही महज बीजेपी का सपना पूरा हो जाता है ऐसा नही है. बीजेपी के एजेंडे में वो तमाम मुद्दे जागृत रहेगी जो संघ की विचार धारा देश में स्थापित करने लिए हैं,या फिर कहें कि वो मुद्दे जिन्हें राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ अपनी विचाराधारा की जड़ें जमाने में बाधक मानता है। इनमें राम मंदिर तो महज प्रतीक के तौर पर है, लेकिन देश में सभी के लिए एक संविधान हो और वो भी बहुसंख्यक समुदाय के अनुकूल हो। यानी यूनीफॉर्म सिविल कोड को लागू करना मोदी सरकार का अब अगला लक्ष्य होगा।
वरिष्ठ पत्रकार सुभाष मित्रा के मुताबिक आरएसएस और बीजेपी के संगठन से जुड़े हुए तमाम नेताओं ने राम मंदिर के भूमि पूजन के पहले ही काशी और मथुरा की बात उठानी शुरू कर दी थी। इसके अलावा संघ प्रमुख से लेकर पीएम मोदी ने राम मंदिर की आधारशिला रखने के साथ ही जिस तरह से नए भारत की बात कही है. वो कैसा भारत होगा और उसका स्वरूप कैसा होगा इसका जिक्र नहीं किया गया है. क्या संघ की परिकल्पना पर आधारित नया भारत होगा, अगर ऐसा है तो मोदी सरकार के सामने फिर अभी लक्ष्य को अमलीजामा पहनाने की चुनौतियां होगी।
अब मथुरा काशी क्या
वर्ष 1992 में बाबरी मस्जिद के विध्वंस के बाद से विश्व हिंदू परिषद (VHP) दावा करती रही है कि मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि और वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर को ‘स्वतंत्र’ करना उसके एजेंडे में है। विश्व हिंदू परिषद का कहना है कि मथुरा में ठीक मस्जिद के स्थान पर भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था और वह मस्जिद नहीं बल्कि हमारी ज़मीन है। विहिप ने कहा था – “वह मस्जिद है ही नहीं, वह हमारी ज़मीन है।” इस मंदिर परिसर के ठीक बाहर मथुरा का सबसे पुराना मंदिर है, जिसका नाम है केशव देव जी महाराज मंदिर!
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