बेंगलुरू दंगा- मंदिर बचाते हुए वीडियो वायरल करना एक सोची समझी साजिश
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नई दिल्ली- बेंगलुरू में हुए दंगे में एक वीडियो जमकर वायरल किया जा रहा है जिसमें कुछ मुस्लिम युवक ह्यूमन चैन बनाकर एक मंदिर को प्रोटेक्ट करते नजर आ रहे हैं। सेकुलर जमात इस पर उन मुस्लिम युवकों के बारे में खूब कसीदे पढ़ रहा है। उन्हें हारमोनी का प्रतीक करार दे रहा है। तो क्या सच में मुस्लिम युवकों ने मंदिर को बचाया था या फिर इमेज बिल्डिंग की सोची समझी रणनीति के तहत किया गया एक कृत्य था।
मुस्लिम युवकों के मंदिर बचाने वाले वीडियो को कुछ हिंदु नाम वाले सोशल मीडिया अकाउंट से खूब शेयर किया जा रहा है। उसकी तारीफ में जमकर कसीदे पढ़े जा रहे हैं। असल बात पर आते हैं ऐसा लगता है कि कोई प्लान कर रहा है सारी चीजें! जैसे जो दंगाई थे , वो ही मंदिर बचा रहे थे। जिनके मजहब में मंदिर तोड़ना शबाब का काम माना गया है। ऐसा भी नहीं है कि जो मंदिर बचा रहे थे उनकी मंदिर में आस्था थी। जिनकी एक पोस्ट से धार्मिक भावनाएं आहत हो जाए वो मंदिर क्यों बचाएंगे।
दरअसल यह एक पीआर एक्सरसाइज थी । पब्लिक रिलेशन एक्सरसाइज, इमेज बिल्डिंग की एक्सरसाइज , जैसे सीएए के विरोध को भारत की जनता का विरोध साबित करने की कोशिश की गई थी। वैसे ही ये वीडियो जानबूझ कर प्रीप्लान के साथ बनाया गया था। वीडियो बनाने वाले और मंदिर बचाने का एक्ट करने वाले एवं बेंगलुरू दंगों को साजिशन अंजाम देने वालों ने एक पटकथा लिखी थी । कि कैसे दंगों के बाद भी इमेज को सुधारने की कोशिश की जा सकती है। दंगे करने वाले और मंदिर बचाने वाले और वीडियो को वायरल करने वाले जानते थे कि उनके पक्ष में एक वर्ग खड़ा हो जाएगा। जो उनके इस कृत्य को नेक काम की श्रेणी में रखेगा और दंगा करने के साथ साथ जो दंगाई मंदिर बचा रहे थे वो सहानुभूति के पात्र भी हो जाएंगे।
Human chain by Muslims to protect Hindu temples from mob. Well done Bangalore, stay calm, maintain peace! pic.twitter.com/ahNt3ZLbwV
— Salman Nizami (@SalmanNizami_) August 11, 2020
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देश की पुलिसिंग के सामने बड़ी चुनौती है मैं अपने मीडिया अनुभव से साफ महसूस कर सकता हूं कि इन दंगाईयों को मीडिया और पीआर से जुड़े लोगों का मार्गदर्शन प्राप्त हो रहा है। पुलिस और खुफिया एजेंसियों को लिए इस बौद्धिक सपोर्ट को खोजना एक बहुत बड़ी चुनौती है।
आज पुलिस की खबर है कि पांच लोगों ने तीन सौ पुलिस वालों को मारने की साजिश रची थी। पुलिस कहना है कि 5 दंगाइयों ने 300 लोगों का गैंग बनाया था। उनका प्लान सभी पुलिसवालों को जान से मारने का था। हमलावरों ने हिंसा के दौरान पुलिस को निशाना बनाने के लिए गुरिल्ला जैसी तकनीक का इस्तेमाल किया। पहले स्ट्रीट लाइट तोड़ना फिर अंधेरे में पुलिस पर पत्थरबाजी करना साफ कह रहा है कि कहीं न कहीं से प्रशिक्षण मिला है । ये बड़ी तैयारी की ओर इशारा करता है।
राजदीप सरदेसाई ने दंगाईयों को मानव श्रंखला कहा तो क्या राजदीप सरदेसाई को इतनी भी समझ नहीं है कि दंगाईयों के इस बदले रूप को भांप पाते। ऐसा नहीं है कि राजदीप को ये प्लान समझ में नहीं आया होगा सामान्य बुद्धि का कोई मीडियाकर्मी भी इस साजिश को समझ सकता है। पर राजदीप जैसे पत्रकारों का अपना एजेंडा है। वो जो छवि बना चुके हैं उसको तोड़ने की हिम्मत उन जैसों में नहीं है।
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As always, for every rioter who takes law into their own hands, there will be those who will stand up for communal harmony and rule of law. Defeat the vandals and law breakers, don’t demonise a community. 🙏 https://t.co/2l7Te12oF4
— Rajdeep Sardesai (@sardesairajdeep) August 12, 2020
इस वीडियों को आप गौर से सुनेंगे तो कमेंट्री में साफ हो जाएगा कि कैसे एक युवक वहां से पीटीसी कर रहा है और दूसरा वीडियों को जल्दी अपलोड करने के लिए कह रहा है। मैं एक बात दावे के साथ कह सकता हूं कि पीटूसी देने वाला युवक भी मुसलमान है और इस साजिश का हिस्सा है। अगर पुलिस पीटूसी दे रहे युवक को हिरासत में लेकर पूछताछ करेगी तो निश्चित ही एक बड़ा खुलासा होगा और उन पीआर एक्सपर्ट तक पुलिस पंहुच जाएगी जो इस साजिश में कंसलटेंसी उपलब्ध करा रहे हैं।
You should see this video. 'jaldi upload kar'
All drama for publicity sake @smitaprakash pic.twitter.com/agHW4ayRP9— ರಾಘವೇಂದ್ರ ಹೆಬ್ಬಾರ್ (@RK_Hebbar) August 12, 2020
अंत में सावधान रहिए , इस देश में कुछ लोग सेकुलर के नाम पर मुस्लिम परस्ती की एक थाती ढो रहे हैं। इनसे सावधान रहिए। ये आपको बरगालाएंगे। अगर आप जागृत हैं तो ये अपने एजेंडा में सफल नहीं हो पाएंगे।
इस आर्टिकल में लेखक के निजी विचार हैं, जरूरी नहीं है दजंतरमंजर डॉट कॉम इन विचारों से सहमत हो.
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