चीन का नेपाली दूतावास बना भारत के खिलाफ साजिशों का अड्डा, अब करवा रहा है भारतीय सेना में तैनात गोरखाओं का सर्वे
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काठमांडू- नेपाल और चीन दोनों देशों के साथ भारत के रिश्ते तल्ख हो गए हैं। नेपाल चीन की शह पर लगातार भारत विरोधी कदम उठा रहा है। नेपाल भारत के खिलाफ चीन द्वारा रची जा रही साजिशों में चीन का मोहरा बन गया है। खबरों की माने तो चीन नेपाल के गोरखा समुदाय में से जवान भारतीय सेना में क्यों शामिल होते हैं, इसकी वजहें तलाशने में जुटा है। इसके लिए उसने एक नेपाली NGO के साथ डील भी की है।
सर्वे के लिए नेपाल के एनजीओ को दिए 20.7 लाख रूपए
सूत्रों के मुताबिक नेपाल स्थित चीनी दूतावास ने नेपाल स्थित एक एनजीओ को सर्वे की जिम्मेदारी सौंपी है। चीन ने 12.7 लाख नेपाली रुपये काठमांडू के एक NGO को दिए हैं। ये पैसे नेपाल के गोरखा समुदाय से भारतीय सेना में शामिल होने की वजहों को जानने के लिए एक स्टडी करने के लिए दिए गए हैं। सूत्रों के मुताबिक चीन की नेपाल में राजदूत हाओ यान्की ने जून के पहले हफ्ते में नेपाल के NGO चाइना स्टडी सेंटर (CSC) को ये पैसे दिए हैं।
#China has given 12.7 lakh Nepalese rupees to a #Kathmandu-based NGO to carry out a study on what motivates #Gorkha community members to join the #IndianArmy. pic.twitter.com/VnOknMb9rb
— IANS Tweets (@ians_india) August 17, 2020
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चीन और नेपाल से है भारत का सीमा विवाद
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चीन और नेपाल, दोनों का भारत के साथ सीमा को लेकर विवाद मई में शुरू हुआ था। चीन जहां पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के पास आक्रामक रवैया अपनाने लगा, वहीं नेपाल ने लिपुलेख में भारत के मानसरोवर लिंक बनाने का विरोध किया। चीन और भारतीय सेनाओं के बीच हिंसक झड़प भी हुई जिसके बाद बातचीत का दौरा जारी है। हालांकि, भारत और नेपाल के बीच सीमा विवाद पर खुलकर वार्ता नहीं हुई है। इस विवाद के शुरू होने के बाद से पहली बार नेपाल और भारत के बीच सोमवार को वार्ता हुई है।
नेपाल में गोरखाओं को भारतीय सेना में काम करने की अनुमति को लेकर विवाद है
गोरखा सैनिकों का सेना में एक अलग ही महत्व है। भारत में भी पहाड़ी इलाकों पर ज्यादातर गोरखा जवान ही तैनात रहते है। वहीं गोरखा सैनिकों के बारे में यह भी कहा जाता है कि पहाड़ों पर उनसे बेहतर लड़ाई कोई और नहीं लड़ सकता है। हालांकि, भारत के साथ सीमा विवाद के बाद नेपाली विदेश मंत्री ज्ञावली ने कहा था कि भारतीय सेना में गोरखाओं की भर्ती से समाज में बहुत सारी नौकरियां पैदा कीं लेकिन बदले हुए संदर्भ में कुछ प्रावधान संदिग्ध हैं। कई नेपाली नेता इस मांग को भी उठा चुके हैं कि गोरखाओं को भारत की सेना में नौकरी करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए और इसके लिए के नेपाली नेता नेपाल सरकार से भी इसकी मांग कर चुके हैं।
नेपाल के आंतरिक मामलों में बढ़ गया है चीन का दखल
हाल के दौर में नेपाल ने चीन का हस्तक्षेप बढ़ गया है। चीन के नेपाल की राजनीति में दखल पर भी सवाल उठते रहे हैं। पिछले दिनों जब देश की नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी में घमासान चरम पर था, तब हाओ यान्की ने राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी, प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली और उनके विरोधी पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ समेत देश के कई बड़े नेताओं से मुलाकातें कीं। इस पर देश में इस बात की काफी आलोचना हुई कि चीन उसके अंदरूनी मसले में दखल क्यों दे रहा है। हाओ यान्की केपी शर्मा ओली और पुष्प कमल दहल के विवाद में काफी सक्रिय नजर आई थीं।
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