चीन-पाकिस्तान को ध्यान में रख भारत बना रहा है महत्वपूर्ण सामरिक सड़क, बिना की को भनक लगे बोर्डर तक पहुंचेगी सेना
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नई दिल्ली- भारत के चीन और पाकिस्तान के रिश्ते ठीक नहीं चल रहे हैं। चीन की बदनीयत साफ नजर आ रही है। दोनों देशों की तरफ से अचानक पैदा की गई चुनौतियों से निपटने के लिए सैन्य दलों और युद्ध के साजोसामान तेजी से सीमाओं तक पहुंचाने के मकसद से ऐसी सड़क का निर्माण हो रहा है जिस पर हो रही गतिविधयां कभी भी दुश्मन की नजर में नहीं आ सकेंगी। यह सड़क मनाली से लेह तक जाएगी। यह सड़क भारत के अन्य हिस्सों से लद्दाख की सीमा तक पहुंचने का तीसरा रास्ता मुहैया कराएगी।
भारत की सैन्य गतिविधियों तो ट्रैक नहीं कर पाएंगे चीन और पाकिस्तान
दरअसल भारत को लद्दाख तक पहुंचने के लिए एक और सामरिक सड़क की जरूरत महसूस हो रही थी। फिलहाल लद्दाख तक पहुंचने के लिए भारतीय सेना के पास दो विकल्प हैं। इन दो रास्तों के अलावा भारत को एक ऐसे तीसरे रास्ते की भी जरूरत थी। मनाली-लेह मार्ग का महत्व इस बात से समझा जा सकता है कि इस पर सेना और युद्धक सामग्रियों के मूवमेंट को न चीन और न ही पाकिस्तान ट्रैक कर पाएगा। इस खासियत का कितना रणनीतिक महत्व है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 1999 के करगिल युद्ध के वक्त सेना और साजो-सामान पहुंचाने वाले वाहनों को चोटी पर बैठे पाकिस्तानी सैनिक सीधे निशाना बना रहे थे।
दरअसल, उस वक्त भारतीय सेना जोजिला दर्रे से द्रास-करगिल होते हुए लेह तक जाने वाली सड़क का इस्तेमाल कर रही थी। यह सड़क पहाड़ियों के किनारे-किनारे बनी है। इस कारण चोटियों पर कब्जा जमाए पाकिस्तानी सैनिकों ने भारतीय वाहनों पर जबर्दस्त बॉम्बार्डिंग कर रही थी। अब मनाली-लेह सड़क बन जाने से भारतीय सेना को सीमा तक पहुंचने का ‘बिल्कुल गुप्त’ रास्ता मिल जाएगा।

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चीन- पाकिस्तान को बिना भनक लगे भारी हथियार पहुंच जाएंगे सीमा पर
इस सड़क के बन जाने से भारत को कितना फायदा होगा इसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते है कि चीन और पाकिस्तान को बिना भनक लगे भारी हथियार भी सीमा पर पहुंच जाएंगे।इस रोड की खासियत यह होगी कि यहां से टैंक, आर्टिलरी गन जैसे बड़े-बड़े और भारी हथियार लद्दाख सीमा तक बिल्कुल गुप्त तरीके से पहुंच जाएंगे। सूत्रों ने बताया कि यह सड़क लेह में निमू के पास मनाली को जोड़ देगा जहां चीन के साथ झड़प के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हाल ही में गए थे। बहरहाल, भारत दोलत बेग ओल्डी (DBO) और लद्दाख के दूसरे सीमाई इलाकों को जोड़ने के भी वैकल्पिक रास्ता तैयार कर रहा है। इस पर पिछले तीना साल से काम चल रहा है और अब तो दुनिया की सबसे ऊंची सड़क खार्दुंग ला पास पर भी काम शुरू हो चुका है।
समय की होगी बचत
एजेंसियां निमू-पदम-दार्चा के जरिए मनाली से लेह तक सड़क निर्माण पर काम कर रही हैं। इससे मौजूदा जोजिला दर्रे से श्रीनगर होते हुए या फिर सारचू होते हुए मनाली से लेह जाने वाली सड़क के मुकाबले तीन घंटे का वक्त बचेगा।’ मनाली से लेह तक जाने में तीन से चार घंटे का समय तो बचेगा ही, उससे भी बड़ी बात यह है चीन और पाकिस्तान को भनक लगे बिना भारत सीमा पर सैनिकों की तैनाती कर सकेगा और उन तक सैन्य साजो-सामानों को पहुंचा सकेगा।
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