कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक , हंगामा है क्यूं बरपा, चिट्ठी ही तो लिखी है, कांग्रेस का डैमेज कंट्रोल , सिब्बल , गुलाम ने अपने बयान लिए वापस
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नई दिल्ली- कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक शुरू हुई सोनिया गांधी ने अपने अंतरिम अध्यक्ष के पद से इस्तीफा देने की बात कहीं और जब राहुल गांधी के बोलने की बारी आई तो वो कुछ ऐसा बोल बैठे जिससे कांग्रेस के 23 लोगों को मिर्ची लग गई और हंगामा बरप गया है। गुलाम नबी आजाद तो यहां तक कह बैठे कोई बीजेपी से सम्बंध का सूबुत ले आए इस्तीफा दे दूंगा। कपिल सिब्बल भी कह बैठे कि राजस्थान में सरकार बचाने के लिए केस लड़ा फिर भी कहा जा रहा है बीजेपी से सम्बंध हैं। उन्होंने अपनी प्रोफाइल से कांग्रेस भी हटा दिया । 23 वरिष्ठ कांग्रेसियों की नेतृत्व में परिवर्तन को लेकर सोनिया गांधी को लिखी चिट्ठी के मामले ने तूल पकड़ लिया। सोनिया ने चिट्ठी को वजह बताते हुए इस्तीफे की पेशकश की। सोनिया गांधी ने अन्य नेताओं से नया पार्टी अध्यक्ष चुनने की प्रक्रिया शुरू करने के लिए कहा। फिर मनमोहन सिंह और एके एंटनी ने हस्तक्षेप किया। राहुल गांधी की बारी आते-आते माहौल गर्मा चुका था। राहुल ने इन 23 नेताओं के बीजेपी संग मिलकर चिट्ठी लिखने का आरोप लगाया जिससे बात और बिगड़ गई। मीटिंग से इतर भी कांग्रेस के दो धड़े बन गए हैं। एक वो जो सोनिया गांधी के नेतृत्व में ही बने रहना चाहता है, दूसरा जो नेतृत्व परिवर्तन चाह रहा है।
डैमेज कंट्रोल में जुटी कांग्रेस
पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने सोनिया को भेजी गई नेताओं की चिट्ठी की टाइमिंग पर सवाल उठाए। राहुल का आरोप था कि पार्टी नेताओं ने यह सब भाजपा की मिलीभगत से किया। राहुल के इस बयान को बमुश्किल 20-25 मिनट नहीं बीते होंगे कि उनका विरोध शुरू हो गया। विरोध करने वालों में सबसे आगे थे गुलाम नबी आजाद और कपिल सिब्बल। बाद में कांग्रेस ने कहा कि राहुल ने ‘भाजपा के साथ मिलीभगत’ जैसा या इससे मिलता-जुलता एक शब्द भी नहीं बोला था। इसके बाद कांग्रेस के मीडिया प्रमुख रणदीप सुरजेवाला का सफाई वाला ट्वीट आया। फिलहाल कपिल सिब्बल और गुलाम नबी आजाद ने अपने बयान वापस ले लिए हैं।
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सोनिया बोलीं इस्तीफा दे रही हूं
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सोनिया गांधी ने अपना पद छोड़ने की पेशकश की। उन्होंने पद छोड़ने के लिए गुलाम नबी आजाद और अन्य नेताओं के लेटर का हवाला दिया। गांधी ने अन्य नेताओं से नया पार्टी अध्यक्ष चुनने की प्रक्रिया शुरू करने के लिए कहा और केसी वेणुगोपाल को एक पत्र सौंपकर असंतुष्ट नेताओं की तरफ से भेजे गए पत्रों का जवाब दिया।
मनमोहन एंटनी बोले आप ही रहिए अध्यक्ष
सोनिया की पेशकश पर पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने उनसे पद पर बने रहने का आग्रह किया। सिंह और एके एंटनी ने उन नेताओं की आलोचना की जिन्होंने नेतृत्व में बदलाव की मांग करते हुए पत्र लिखा था।
भड़के राहुल गांधी , प्रियंका ने मिलाया सुर में सुर
पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा, ‘सोनिया गांधी के अस्पताल में भर्ती होने के समय ही पार्टी नेतृत्व को लेकर पत्र क्यों भेजा गया था?’ उन्होंने मीटिंग में कहा कि ‘पार्टी नेतृत्व के बारे में सोनिया गांधी को पत्र उस समय लिखा गया था जब राजस्थान में कांग्रेस सरकार संकट का सामना कर रही थी। पत्र में जो लिखा गया था उस पर चर्चा करने का सही स्थान सीडब्ल्यूसी की बैठक है, मीडिया नहीं।’ उन्होंने आरोप लगाया कि यह पत्र बीजेपी के साथ मिलीभगत में लिखा गया। प्रियंका गांधी ने राहुल की बात से पूरी तरह सहमति जताई। उन्होंने भाई के सुर में सुर मिलाते हुए चिट्ठी लिखने वाले कांग्रेसियों की आलोचना की। उन्होंने अप्रत्यक्ष तौर उन नेताओं को दोहरे चरित्र का बताया। हरियाणा कांग्रेस की नेता कुमारी शैलजा ने भी पत्र लिखने वालों पर हमला बोला और कहा कि वो भाजपा के एजेंट की तरह काम कर रहे हैं।
नाराज गुलाम नबी बोले इस्तीफा दे दुंगा
बीजेपी से मिलीभगत के आरोप पर गुलाम नबी आजाद चिढ़ गए। आजाद राज्यसभा में कांग्रेस के नेता हैं। उनकी अगुवाई में ही वरिष्ठ कांग्रेसियों ने सोनिया को चिट्ठी लिखी थी। आजाद ने कहा कि अगर ‘बीजेपी से सांठ-गांठ के आरोप सिद्ध होते हैं तो मैं त्यागपत्र दे दूंगा।’
बवाल मचा तो आई सफाई
कपिल सिब्बल और गुलाम नबी आजाद जैसे वरिष्ठ नेताओं ने नाराजगी जताई। इसके बाद पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने सफाई दी। फिर सिब्बल ने अपना ट्वीट वापस ले लिया। सुरजेवाला ने कहा कि राहुल गांधी की बात का वो मतलब नहीं था और न ही उन्होंने ऐसा कहा। कृपया झूठे मीडिया बातचीत या गलत सूचना के प्रसार से भ्रमित न हों। हम सभी को एक साथ मिलकर मोदी सरकार के खिलाफ लड़ना है न कि एक-दूसरे को चोट पहुंचाने या कांग्रेस के खिलाफ।
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