भारत में हर 5वें व्यक्ति है डिप्रेश, जानिए, घातक रोग डिप्रेशन के वो 10 महत्वपूर्ण लक्षण
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नई दिल्ली – जैसे-जैसे आधुनिकीकरण या कहें पश्चिमी सभ्यता को हम अपना रहें है, समाज में एक असंतुलित वातावरण पैदा हो रहा है। हर व्यक्ति परेशान है, औऱ कुछ कर गुजरने के प्रयास में हमेशा रहता है। हर कोई असंतुष्ट नजर आता है। स्थिर प्रकृति में मानव बैचेन क्यों है? हर मनुष्य एक दूसरे को पीछे छोड़ने के मूड में क्यों है, सवाल सैकड़ो है मगर जवाब तलाशने के बारे में हम सोचते भी नही है।
परिणामस्वरूप विकासशील भारत के हर परिवार से औसतन एक व्यक्ति मानसिक तनाव से गुजर रहा है। हालात बेहद भयावह हो रहे है, जिस पर ध्यान देने की जरूरत है, लेकिन यह विचार भारतीय समाज के बहुत छोटे हिस्से से आता है। बहुत सारे लोग इस मामले को संवेदनशील मुद्दा नहीं मानते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा किए गए अध्ययन के अनुसार, भारत में लगभग 200 मिलियन लोग डिप्रेशन से पीड़ित हैं, यानी प्रत्येक पांच लोगों में से एक डिप्रेश है।
डब्ल्यूएचओ के एक और अध्ययन के अनुसार भारत को दुनिया के सबसे उदास देशों की सूची में रखा गया हैं, यह सिर्फ सीमित लोगों के डेटा है जिन्होंने अपने डिप्रेशन के बारे में बात की है; यह जानकर आश्चर्य नहीं होगा कि ये संख्या और भी अधिक भी हो सकता है।
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डिप्रेशन के महत्वपूर्ण लक्षण क्या है..
1 किसी भी काम को करने के दौरान या फिर किसी विषय का अध्ययन करते समय एकाग्रता लाने में परेशानी हो सकती है।
2 डिप्रेशन से पिड़ित व्यक्ति को किसी भी प्रकार के निर्णय लेने में दिक्कत महसूस होती है।
3 डिप्रेशन के लक्षणों में थकान को भी महसूस किया गया है, व्यक्ति काम करने के दौरान थका हुआ महसूस करता है।
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4 डिप्रेश व्यक्ति किसी न किसी कारण निराश रहता है इनमें ज्यादातर व्यक्ति अपने अतीत से जुड़े घटना पर अफसोस जता रहे होते है।
5 डिप्रेशन में जाने के बाद व्यक्ति हर वक्त किसी न किसी बातों को लेकर चिंतित नजर आता है।
6 डिप्रेशन से जूझ रहा इंसान हर बात का नाकारात्मक प्रतिक्रिया देता है। जैसे चिड़चिड़ापन होना , यह सबसे अहम लक्षम माना गया है।
7 डिप्रेशन से पिड़ित व्यक्ति या तो ज्यादा सोने लगता है या फिर उसे देर रात तक नींद नही आती है।
8 छोटी -छोटी बातों पर बैचेन होना भी डिप्रेशन का लक्षण माना गया है।
9 आनंददायक या मजेदार गतिविधियों में रुचि की कमी होना
10 आत्मघाती विचार आना – जो लोग डिप्रेशन के लंबे वक्त तक शिकार रहते है उन्हें आत्महत्या करने जैसा ख्याल आने लगता है।
ऐसे हालातों में अपने दोस्तों, घरवालों या किसी मनोचिकित्सक से बात करनी चाहिए।
आगे की रिपोर्ट में हम आपको बताएंगे कि भारत में मानसिक स्वास्थ्य को गंभीरता से क्यों नहीं लेते? इसके लिए आप thejantarmantar.com को सब्सक्राइब जरूर करें ।
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