बिहार चुनाव – हत्या रोकने में नाकाम नीतीश, बदले में देंगे नौकरी
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नई दिल्ली – बिहार में विधानसभा चुनाव के नजदीक आते ही फूहड़ राजनीति की शुरूआत हो जाती है। नेताओं द्वारा विकास की बातों को पीछे धकेल जाति-धर्म का भद्दा खेल खेला जाता है। आज कुछ ऐसा ही खेल मुख्यमंत्री नीतीश द्वारा खेली गई है। बेशर्मी की हद पार करते हुए मुख्यमंत्री नीतीश ने किसी खास जाति की वोट बटोरने के लिए बेहतर उपाय ढूंढ निकाला है। दरअसल नीतीश ने सभी जिला पदाधिकारियों को आदेश दिया है कि अनुसूचित जाति -जनजाति में किसी की हत्या होने पर परिवार में किसी एक सदस्य़ को नौकरी देने का तत्काल नियम बनाएं ।
चुनाव बेहद करीब है इसलिए अनुसूचित जाति-जनजाति के लिए चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं का लाभ शीघ्र दिलाने के लिए मुख्य सचिव अपने स्तर पर इसकी समीक्षा करें। पीड़ितों को तत्काल राहत के लिए अग्रिम राहत राशि तुरंत उपलब्ध कराएं। इसके लिए सभी जिलों में राशि की उपलब्धता सुनिश्चित की जाय।
हत्या के बाद नौकरी का प्रावधान संवेदनहीनता का प्रमाण दर्शाता है..
हमें डर है कि रोजी-रोटी से जुझता एससी-एसटी समाज कहीं हत्या होने के बाद पुलिस स्टेशन जाने के बजाए नौकरी मांगने न चला जाएं।
हमें डर है इसलिए भी कि समाज में राम और रावण दोनों प्रवृति के लोग होते है, परिवारिक कलह के बीच कोई नौकरी के अवसर न ढूंढ लें।
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वैसे तो देश भर में रोजगार का महा संकट है, लेकिन बिहार में रोजगार है मगर उसके लिए हत्या का इंतजार करना होगा।
हमें डर है कि बेरोजगारों के इस दौर में संवेदनहीन फैसलें का समर्थन न कर दिया जाए।
यहां सिर्फ अनुसूचित जाति-जनजाति के लाचारी का ही मजाक नही बनाया जा रहा है बल्कि लाचार हुए कानून व्यवस्था से ध्यान हटाने के लिए भी नए तरकीब गढ़े जा रहे है। यकिन मानिए ऐसे नियम अपराधों को बढ़ावा देगी। वहीं सरकार का कहना है कि ऐसे कानून से अनुसूचित जाति-जनजाति का उत्थान होगा, और उसके उत्थान से समाज का उत्थान होगा ।
बिहार सरकार के इस फैसले को आप किस तरह देखते है हमें जरूर बताए .. मेरा ट्वीटर हैंडल है @Indraje87835344
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