S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम भारत के लिए क्यों है जरूरी, साधेगा शक्ति संतुलन
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नई दिल्ली- भारत और चीन के बीच लद्दाख में एलएसी पर चल रहे विवाद में कोई कमी आती हुई नहीं दिख रही है। लेह इलाके मेें भीषण सर्दियों की शुरूआत हो चली है। लेकिन अभी भी दोनों देशों की सेनाएं सीमा पर पूरी मुस्तैदी से डटी हुई है। भारतीय सेना चीन से चल रहे तनाव के मद्देनजर अपनी तैयारियों को लगातार धार देने में जुटी हुई है। भारतीय सेना सैनिकों के लिए जरूरी साजोसामान की लगातार खरीददारी कर रही है। सैनिक भीषण ठंड का मुकाबला कर सकें इसके लिए अमेरिका से कपड़ों से लेकर टेंट और जरूरी उपकरणों की खरीदारी हो रही है।
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भारत सरकार चाहती है कि चीन से चल रहे तनाव के मद्देनजर उसे जल्दी से जल्दी रूस एस-400 ट्राइम्फ मिसाइल डिफेंस सिस्टम जल्द से जल्द आपूर्ति कर दें। रूसी पक्ष ने भी भारत को इस साल के अंत तक एक डिफेंस सिस्टम सप्लाई करने का भरोसा दिया है। भारत ने रूस से एस-400 की पांच बैटरियों की 40 हजार करोड़ रूपए की डील की है। जब भारत को पांच S-400 सिस्टम मिल जाएंगे तो भारत की रक्षा क्षमता के महत्वपूर्ण वृद्धि हो जाएगी। वायुसेना डिफेंस को लेकर और आक्रामक मुद्रा में होगी। S-400 की क्षमताओं का उपयोग तिब्बत क्षेत्र में चल रही चीन की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए की जा सकेंगी। भारत S-400 की ताकत का इस्तेमाल पाकिस्तान सेना की गतिविधियों पर नजर रखनेके लिए भी कर सकेगा।
यह एक ऐसा हथियार है जो पाकिस्तान के मुकाबले में भारतीय एयरफोर्स को मीलों आगे खड़ा कर देगा तो वहीं चीन के मुकाबले मेें भारत को बराबरी पर खड़ा कर देगा।यह डिफेंस सिस्टम पाकिस्तान की कम दूरी वाली परमाणु मिसाइलों को गिरा सकता है। भारत की चीन से लगती हुई सीमा 4000 किमी लंबी है, जिसकी सुरक्षा में सिस्टम से मदद मिलेगी। इस सिस्टम के बूते चीन बॉर्डर पर तिब्बत और पाकिस्तान बॉर्डर पर अफगानिस्तान की थाह ली जा सकती है।
क्या हैं S-400 की खासियत
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