तेजप्रताप- तेजस्वी पर चुनावी हलफनामे में सम्पत्ति छिपाने का आरोप, जदयू ने चुनाव आयोग में दर्ज कराई शिकायत
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पटना- जेडीयू ने लालू यादव के दोनों लालों पर चुनावी हलफनामे में दी गई सम्पत्ति की जानकारी को गलत बताया है। इस बाबत जेडीयू के वरिष्ठ नेता व बिहार के सूचना एवं जनसंपर्क मंत्री नीरज कुमार ने तेजस्वी और तेजप्रताप यादव के खिलाफ चुनाव आयोग से शिकायत दर्ज कराई है । जेडीयू ने मुख्य निर्वाचन अधिकारी एचआर श्रीनिवास को ज्ञापन देकर पूरे मामले में जांच कराने की मांग की है।
जेडीयू का आरोप आयोग काे गुमराह किया
जदयू नेता का आरोप है कि लालू यादव के दोनों बेटे तेजस्वी यादव और तेज प्रताप यादव ने अपने चुनावी हलफनामे में जो जानकारी दी है वह गलत है। इसकी जांच होनी चाहिए, दोनों नेताओं ने संपत्ति संबंधित जानकारी छिपाई है। जनता के साथ आयोग को गुमराह किया है।
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आयोग से शिकायत करने पहुंचे जेडीयू नेताओं में नीरज कुमार के अलावा पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव आफाक अहमद खां, राष्ट्रीय सचिव संजय वर्मा, प्रदेश महासचिव डॉ. नवीन कुमार आर्य, प्रोफेसर सुहेली मेहता और पार्टी प्रवक्ता अरविंद निषाद शामिल रहे ।
चुनाव अधिकारी ने दिया विधि सम्मत कार्रवाई का आश्वासन
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जदयू ने महागठबंधन से मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार तेजस्वी यादव और तेज प्रताप यादव पर संपत्ति छिपाने और चुनाव में गलत हलफनामा देने को लेकर शिकायत की है। नीरज कुमार ने कहा “कि मुख्य निर्वाचन अधिकारी एचआर श्रीनिवास ने भरोसा दिया है कि संबंधित जानकारी चुनाव आयोग के समक्ष रखी जाएगी। किसी स्तर पर गड़बड़ी की पुष्टि होने के बाद विधि सम्मत कार्रवाई भी की जाएगी।”
तरुण और तेजस्वी एक ही तो जानकारी क्यों छुपाई
दो दिन पहले जेडीयू ने नीरज कुमार ने प्रेसवार्ता कर आरजेडी नेता तेजस्वी पर संपत्ति छिपाने का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा था कि जब तरुण और तेजस्वी एक ही हैं तो उन्होंने अपने चुनावी हलफनामा में पूरी जानकारी क्यों नहीं दी। जेडीयू नेता ने कहा है कि तेजस्वी यादव एवं तेजप्रताप यादव द्वारा दिए गए गलत हलफनामे की जांच होनी चाहिए। लोक प्रतिनिधित्व कानून की धारा-123 (2) के तहत कार्रवाई की जाए। वहीं उनका कहना है कि चुनाव अधिकारी ने इस मामले में कानून के अनुसार कार्रवाई का भरोसा दिया है।
क्या हैं हलफनामे में जानकारी छिपाने की सजा
दरअसल गलत हलफनामा देने के खिलाफ चुनाव आयोग के अधिकार बहुत सीमित हैं। इस सवाल के जवाब में कि आयोग आखिर इन हलफनामों का करता क्या है? आयोग संपत्ति के आकड़ों को इनकम टैक्स विभाग भेज देता है, किसी के द्वारा शिकायत मिलने पर ही चुनाव आयोग हलफनामे की जांच कराता है ।अगर शिकायत के बाद हलफनामा गलत पाया जाता है तो आयोग से शिकायतकर्ता को सिर्फ इसकी जानकारी ही दी जा सकती है, उसके बाद शिकायतकर्ता को कोर्ट जाना होगा और कोर्ट को ही सजा तय करने का अधिकार है। लेकिन यहां भी नेताओं के पास बच निकलने का पूरा रास्ता है। दरअसल, सीआरपीसी की धारा 340 में सिर्फ 6 महीने की सजा का प्रावधान है। हलफनामे में गलत जानकारी देने से नेता के निर्वाचन पर कोई फर्क नहीं पड़ता है।
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