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नई दिल्ली – कोरोना वायरस के कारण लंबे समय से बंद पड़े कॉलेज और यूनिवर्सिटी को दोबारा खोलने की तैयारी की जा रही है। इसको लेकर यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन (UGC) ने नई गाइडलाइंस जारी कर दी हैं। ग्रांट कमीशन की ओर से जारी दिशा निर्देश के अनुसार एकेडमिक ईयर 2020-21 में सिलेबस को पूरा करने के लिए शिक्षण संस्थान टीचिंग के घंटे बढ़ा सकते हैं। साथ ही स्टूडेंट्स, टीचर्स और अन्य स्टाफ की सुरक्षा के लिए क्लासेस की साइज भी कम की जा सकती है।
कॉलेज / यूनिवर्सिटी कैंपस में होगी आइसोलेशन का इंतजाम
UGC की नई दिशा निर्देश के मुताबिक सभी शिक्षण संस्थान हफ्ते में छह दिन क्लासेस आयोजित कर सकते हैं, जिससे ज्यादा क्लासेस आयोजित की जा सके और एक क्लास में स्टूडेंट्स की संख्या भी कम हो सके। यूजीसी के निर्देशों के अनुसार संस्थान किसी भी क्लास में ज्यादा से ज्यादा 50 फीसदी स्टूडेंट्स को बुला सकते हैं। इसके अलावा कैंपस में विजिटर्स की अनुमति नहीं होगी। किसी भी स्टूडेंट, टीचिंग या नॉन टीचिंग स्टाफ में कोरोना लक्षण दिखाई देने पर कैंपस में अलग से आइसोलेशन की व्यवस्था रखनी होगी।
16 मार्च से बंद शिक्षण संस्थान
आपको बता दें कि 24 मार्च 2020 से लगे देशव्यापी लॉकडाउन के बाद अब अनलॉक की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। ऐसे में UGC ने भी कॉलेज-यूनिवर्सिटी को दोबारा खोलने का मन बना लिया है। इसे लेकर दिशा-निर्देश जारी किए। यूजीसी ने कहा है कि स्टेट यूनिवर्सिटी और कॉलेजों में फिजिकल क्लासेस शुरू करने को लेकर राज्य सरकारें फैसला करेंगी। जबकि केंद्र से वित्तीय सहायता प्राप्त करने वाले हायर एजुकेशन इंस्टीट्यूट्स के प्रमुख कोरोना के बीच क्लासेस शुरू करने के लिए कैंपस खोलने का फैसला लेंगे।
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आइए एक नजर नए गाइडलाइंस पर…..
सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए छह फीट की दूरी बनाए रखनी होगी।
कैंपस में मास्क या फेस कबर करना अनिवार्य होगा।
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कन्टेनमेंट जोन से बाहर स्थित इंस्टीट्यूट को ही खोलने की इजाजत दी जा सकती है।
कन्टेनमेंट जोन में रहने वाले स्टूडेंट्स और टीचर्स को कॉलेज में आने की अनुमति नहीं होगी।
फैकल्टी, स्टाफ और स्टूडेंट्स को आयोग्य सेतु ऐप का इस्तेमाल करने की सलाह दी जाती है।
कैंपस में कहीं भी थूकने पर पूरी तरह से पाबंदी होगी।
खांसते / छींकते समय मुंह और नाक को ढकने का सख्ती से पालन किया जाएं।
सभी रिसर्च कोर्सेस और साइंस टेक्नोलॉजी कोर्सेस के पीजी स्टूडेंट्स की संख्या कम होने की वजह से इन्हें पहले कॉलेज बुलाया जा सकता है।
बाद में संस्थान के प्रमुख के निर्देशानुसार एकेडमिक और प्लेसमेंट के मकसद से फाइनल ईयर के स्टूडेंट्स को भी बुलाया जा सकता है।
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