बिहार चुनाव- जेडीयू के हाल से दुखी नीतीश , सीएम बनने में कर रहे हैं संकोच
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पटना- बिहार विधानसभा चुनावों में बाजी भले ही एनडीए के हाथ लगी हो, लेकिन चुनावों में जेडीयू के परफॉर्मेंस से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार दुखी हैं। वो मुख्यमंत्री बनने में संकोच कर रहे हैं। पीएम मोदी भी नीतीश कुमार की दुविधा को भलिभॉति समझ रहे हैं इसलिए बीजेपी मुख्यालय से दिए गए अपने भाषण में उन्होंने स्थिति स्पष्ट कर दी है कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही होंगे। चिराग पासवान की चाल से नीतीश कुमार बहुत आहत हैं।
एलजेपी के दिए झटके से आहत हैं नीतीश कुमार – सूत्र
अंग्रेजी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस ने बीजेपी के एक नेता के हवाले से कहा है कि नीतीश कुमार अपनी पार्टी जेडीयू के निराशाजनक प्रदर्शन से हैरान हैं और वो सीएम की कुर्सी फिर से संभालना नहीं चाहते। बीजेपी नेता ने अपना नाम गुप्त रखने की शर्त पर अखबार से कहा, ‘वो (नीतीश) इस बात से काफी परेशान हैं कि चिराग ने जेडीयू के कम-से-कम 25 से 30 कैंडिडेट की जीत की उम्मीद पर पानी फेर दिया। हमने उनसे कहा कि वो सीएम बने रहें, भले ही बीजेपी गठबंधन की बड़ी पार्टनर के तौर पर उभरी है।’
जनता मालिक है। उन्होंने NDA को जो बहुमत प्रदान किया, उसके लिए जनता-जनार्दन को नमन है। मैं पीएम श्री @narendramodi जी को उनसे मिल रहे सहयोग के लिए धन्यवाद करता हूँ।
— Nitish Kumar (@NitishKumar) November 11, 2020
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चिराग की शिकायत बीजेपी से की है-सूत्र
नीतीश ने बुधवार को ट्वीट कर कहा, ‘जनता मालिक है।’ जेडीयू के एक वरिष्ठ नेता ने द इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि उनकी पार्टी के अंदर आम भावना है कि बीजेपी ने चिराग पासवान को रोकने के लिए प्रभावी कदम नहीं उठाया। उन्होंने कहा कि चुनाव के दौरान बीजेपी और जेडीयू के कार्यकर्ताओं के बीच भी सामंजस्य की कमी थी।
बीजेपी नेता बढ़ा रहे हैं नीतीश कुमार का मनोबल
बिहार बीजेपी प्रभारी भूपेंद्र यादव, प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष डॉ. संजय जयसवाल, उप-मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी और केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने मंगलवार शाम नीतीश कुमार से मुलाकात की। इसे एक शिष्टाचार भेंट बताया गया लेकिन कई जेडीयू नेता इसे बीजेपी की दिलेरी के रूप में देख रहे हैं। उनका मानना है कि बीजेपी नेता मायूस नीतीश का मनोबल बढ़ाने के लिए आए थे।
2005 के बाद सबसे खराब स्थिति में जेडीयू
अगर आंकडों पर गौर करें तो 2005 के बाद जेडीयू की सबसे खराब स्थिति है। 243 सीटों वाली बिहार विधानसभा में एनडीए को 125 सीटें जबकि महागठबंधन को 110 सीटें मिली हैं। बीजेपी 74 सीटों के साथ एनडीए घटक दलों में टॉप पर है जबकि जेडीयू को 43 सीटों पर सिमट गया है। वहीं, आरजेडी के हिस्से 75 सीटें आई हैं और वह बिहार की सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है जबकि उसकी सहयोगी कांग्रेस पार्टी को 19 सीटें और वामपंथी दलों को 16 सीटें मिली हैं।
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