मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट सेन्ट्रल विस्टा को सुप्रीम कोर्ट की मंजूरी, नई संसद के निर्माण का रास्ता साफ
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नई दिल्ली- सुप्रीम कोर्ट ने नई संसद के निर्माण का रास्ता साफ कई दिया है। सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की खंडपीठ ने 2-1 के मत से केंद्र सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट सेन्ट्रल विस्टा को हरी झंडी दिखा दी है। कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए सरकार के पेपरवर्क को सही ठहराया। साथ ही कहा कि जमीन का डीडीए की तरफ से लैंड यूज बदलना सही है। कोर्ट ने पर्यावरण मंत्रालय द्वारा दी गई सिफारिशों को बरकरार रखा और निर्माण के दौरान पर्यावरण का ध्यान रखने की बात कही। इसके सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि निर्माण के दौरान स्मॉग टावर लगाया जाए और निर्माण से पहले हेरिटेज कमिटी की भी मंजूरी लेने का भी निर्देश दिया है।
निर्माण को चुनौती देने वाली याचिकाओं में पर्यावरण का मुद्दा उठाया गया था
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लुटियंस जोन में सेंट्रल विस्टा परियोजना के निर्माण को चुनौती देने वाली याचिकाओं में पर्यावरण मंजूरी समेत कई मुद्दों को उठाया गया था। इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने 7 दिसंबर को पिछली सुनवाई में नए संसद भवन के लिए आधारशिला रखने की अनुमति दी थी, लेकिन इसके साथ में यह भी निर्देश दिया था कि कोई निर्माण नहीं होगा। मामले में कोर्ट ने पिछले साल पांच नवंबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। इस पीठ में जस्टिस दिनेश महेश्वरी और संजीव खन्ना भी थे। सरकार ने आश्वासन दिया था कि याचिकाओं के निपटारे से पहले वह कोई निर्माण कार्य नहीं करेगी।
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