कोरोना वैक्सीन टीकाकरण- पीएम बोले-मानव जब जोर लगाता है पत्थर पानी बन जाता है
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नई दिल्ली- दुनिया के सबसे बड़े टीकाकरण अभियान का आगाज हो गया। वैक्सीनेशन प्रोग्राम की शुरुआत करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि पूरे देश को इस पल का बेसब्री से इंतजार था। उन्होंने इस मौके पर राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की कविता की चंद लाइनें ‘मानव जब जोर लगाता है, पत्थर पानी बन जाता है’ का भी जिक्र किया। पीएम मोदी ने कहा कि कोरोना की वैक्सीन बहुत ही कम समय में आ गई है। उन्होंने कहा कि कितने महीनों से देश के हर घर में बच्चे, बूढ़े, जवान सबकी जुबान पर ये ही सवाल था कि कोरोना की वैक्सीन कब आएगी। उन्होंने कहा कि अब से कुछ ही मिनट बाद भारत में दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान शुरू होने जा रहा है। पीएम मोदी ने इसके लिए देशवासियों को बधाई दी। पएम मोदी के संबोधन को सभी टीकाकरण केंद्रों से कनेक्ट किया गया। केंद्र सरकार के मुताबिक, पहले दिन कुल 3006 वैक्सीनेशन सेंटर्स पर तीन लाख से ज्यादा हेल्थ वर्कर्स को पहली डोज दी जानी है।
पीएम नरेंद्र मोदी ने दी अफवाहों से बचने की सलाह
पीएम मोदी ने वैक्सीन को लेकर देशवासियों को किसी भी तरह की अफवाहों से बचने को कहा। उन्होंने कहा कि भारत के वैज्ञानिकों और वैक्सीन से जुड़ी विशेषज्ञता पर पूरी दुनिया को भरोसा है। उन्होंने कहा कि भारतीय वैक्सीन विदेशी वैक्सीनों की तुलना में बहुत सस्ती है। इनका उपयोग भी बहुत आसान है। पीएम ने कहा कि विदेश में ऐसी वैक्सीन है जिनकी कीमत 5000 रुपये तक है।
सबसे पहले वैक्सीन हेल्थ वर्कर को
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पीएम नरेंद्र मोदी ने याद किए कोरोना से लड़ाई के दिन हुए भावुक
देशवासियों से मुखातिब मोदी ने महामारी के शुरुआती दिनों के संघर्ष को याद किया तो उनकी आंखें डबडबा गईं। भरी आंखों से वह उस वक्त का जिक्र करते रहे जब भारत के पास कोरोना से लड़ाई का मजबूत इन्फ्रास्ट्रक्चर नहीं था। मोदी ने डबडबाई आंखो से कहा कि ‘कोरोना से हमारी लड़ाई आत्मविश्वास और आत्मनिर्भरता की रही है।’ उन्होंने कहा कि ‘इस मुश्किल लड़ाई से लड़ने के लिए हम अपने आत्मविश्वास को कमजोर नहीं पड़ने देंगे, ये प्रण हर भारतीय में दिखा।’
हेल्थ वर्कर्स को याद कर पीएम मोदी की आंखें डबडबा गईं। उन्होंने कहा, “सैकड़ों साथी ऐसे भी हैं जो कभी घर वापस… लौटे नहीं। उन्होंने एक-एक जीवन को बचाने के लिए अपना जीवन आहूत कर दिया। इसलिए आज कोरोना का पहला टीका स्वास्थ्य सेवा से जुड़े लोगों को लगाकर एक तरह से समाज अपना ऋण चुका रहा है।”
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