NBA की मांग – रिपब्लिक टीवी की IBF मेंबरशीप हो रद्द, जानिए अन्य कई मांगे
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नई दिल्ली – रिपब्लिक टीवी के स्वामी, अर्नब गोस्वामी औऱ BARC इंडिया के पूर्व सीईओ पार्थो दास गुप्ता के बीच हुए वाट्सएप्प बातचीत लीक होने के बाद कई नए खुलासे हुए हैं। इस बातचीत के कंटेंट को देखकर न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएसन( NBA) भी हैरान हैं। एनबीए ने साफ शब्दों में कहा कि रिपब्लिक टीवी की ज्यादा व्यूअरशीप दिखाने के पीछे आपसी ताल मेल थी।
एनबीए ने इस मामले में आक्रमक रूख अपनाते हुए कहा कि रिपब्लिक टीवी की IBF की सदस्यता जल्द रद्द होनी चाहिए। एनबीए ने कहा कि रिपब्लिक टीवी की व्यूअरशीप फर्जी तरीके से बढ़ाया गया वहीं अन्य चैनलों के व्यूअरशीप में घटा दिया गया। यानी रिपब्लिक टीवी को अनुचित फायदा पहुंचाया गया।
एनबीए ने कहा कि वाट्सएप्प की बातचीत न केवल रेटिंग की हेरफेर का दर्शाता बल्कि सत्ता के खेल को भी उजागर करता हैं। दोनों के बीच हुए संदेशों के आदान-प्रदान में केंद्र सरकार में सचिवों की नियुक्ति, कैबिनेट में बदलाव, पीएमओ तक पहुंच और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के कामकाज पर भी रोशनी पड़ती है। इससे एनबीए द्वारा पिछले चार साल से लगातार लगाए जा रहे इन आरोपों की पुष्टि होती है कि एक गैर एनबीए सदस्य ब्रॉडकास्टर बार्क के शीर्ष प्रबंधन के साथ मिलीभगत कर रेटिंग में हेरफेर कर रहा है।
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एनबीए ने बार्क के सामने रखी ये मांग
- ऑडिट के दौरान अपनी रेटिंग की सत्यता के बारे में एक साफ बयान दें और हिंदी न्यूज जनर की भी ऑडिट की जाए।
- दोषी ब्रॉडकास्टर के सभी आंकड़ों को हटाया जाए और सभी चैनलों की असल रैकिंग को शुरुआत से नए सिरे से दिया जाए ।
- यह बताएं कि रेटिंग को पुख्ता रखने के लिए बार्क ने पिछले तीन महीने में क्या ठोस कदम उठाए हैं।
- पूरी प्रक्रिया में पारदर्शिता लायी जाए और एक ऐसा सिस्टम बनाया जाए जिसमें नए इकोसिस्टम को प्रभावित करने वाली रेटिंग में किसी भी तरह का बदलाव सिर्फ एनबीए के नॉमिनी वाले बार्क की सब-कमिटी के परामर्श से हो सके ।
- इस बारे में बताएं कि बार्क के संविधान में उन ब्रॉडकास्टर के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई के लिए क्या प्रावधान किये गये हैं जो कि इस स्तर की रेटिंग हेर फेर में लिप्त हैं और मौजूदा मामले में क्याकार्रवाई की गयी ।
- न्यूज चैनलों की रेटिंग को तब तक निलंबित रखी जाए जब तक कि बार्क ऐसी कार्रवाई का पूरा ब्योरा सभी पक्षों को नहीं मुहैया कर देता है।
- एनबीए बोर्ड ने यह भी कहा है कि हर महीने जो हेरफेर वाले आंकड़े जारी किये गये उनसे न केवल न्यूज चैनलों की प्रतिष्ठा को नुकसान हुआ है, बल्कि उन्हें भारी वित्तीय नुकसान भी हुआ है, जिसके लिए बार्क को सफाई देनी होगी।
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