किसान संगठनों और सरकार के बीच दसवें दौर की वार्ता जारी। क्या बनेगी बात?
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नई दिल्ली- कृषि कानूनों को लेकर जारी गतिरोध के बीच आज किसान संगठनों और सरकार के बीच दसवें दौर की वार्ता जारी है। पूरे देश की नजर इस बात पर है कि क्या आंदोलनकारी किसानों और सरकार के बीच बात बन जाएगी या फिर मामला ऐसे ही अटका रहेगा। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल किसानों के साथ विज्ञान भवन में बातचीत कर रहे हैं। पहले यह वार्ता मंगलवार को होनी थी, लेकिन इसे टाल दिया गया। बता दें कि किसान 26 नवंबर से ही तीनों नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे हैं। वे तीनों कानूनों की वापसी के मांग पर अड़े हुए हैं। वहीं, दूसरी ओर केंद्र सरकार नए कानूनों को किसानों के लिए हितकारी बता रही है और गतिरोध को बातचीत के माध्यम से सुलझाना चाहती है। इसे लेकर दोनों पक्षों के बीच अब तक नौ दौर की वार्ता के बाद अभी दोनों पक्षों में कोई बात नहीं बनी है।
क्या हैं किसान संगठनों की मांग
कृषि कानूनों के खिलाफ सिंघु बॉर्डर पर किसानों का विरोध प्रदर्शन आज 56वें दिन भी जारी है। दरअसल किसान संगठन तीनों नए कृषि कानूनों को वापस लेने के मांग कर हैं साथ ही न्यूनतम समर्थन मूल्य को भी कानूनी रूप से लागू करने की मांग कर रहे हैं। भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत कहते हैं कि सरकार को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर एक कानून बनाना होगा और तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करना होगा। हमारा विरोध सरकार और कॉर्पोरेट सिस्टम के खिलाफ है।
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सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित कमेटी 21 जनवरी को करेगी किसानों से मुलाकात
समिति 21 जनवरी को किसानों के साथ अपनी पहली बैठक करेगी। मंगलवार को पैनल के सदस्य अनिल घणावत ने इसकी जानकारी दी। उन्होंने एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान कहा कि समिति के सामने सबसे बड़ी चुनौती आंदोलनकारी किसानों को इस मामले पर चर्चा करने के लिए मनाने की है।
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