कोरोना महामारी के बाद हम औऱ हमारा पर्यावरण कितना बदल गया, जानिए इसके सकारात्मक और नकारात्मक तथ्य
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नई दिल्ली – पूरे विश्व में कोरोना महामारी से बचाव के लिए वैक्सीनेशन की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है जिसमें भारत अपनी अहम भूमिका निभा रहा है। न केवल अपने पड़ोसी देशों बल्कि विश्व के विकसित व विकासशील देशों की भारत मदद कर रहा है।
चीन के वुहान शहर से शुरू हुई कोरोना वायरस महामारी को आज एक वर्ष से भी अधिक समय हो चुका है, जिसने पूरे विश्व के परिदृश्य को बदल कर रख दिया। बीते वर्ष जब कोरोना वायरस 10 देशों में अपने पैर पसार चुका था तब कहीं जाकर वर्ल्ड हैल्थ ऑर्गनाइज़ेशन अर्थात WHO ने इसे महामारी घोषित किया। इससे WHO पर सवाल भी उठाए गए, यहां तक कि अमेरिका जो WHO को सबसे ज्यादा फंडिंग करता था, उसने फंडिंग को रोक दिया।
इस महामारी से निपटने के लिए विश्व के लगभग सभी देशों ने लॉकडाउन का सहारा लिया। आयात निर्यात न होने के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था तहस-नहस हो गई, इस पर आईएमएफ ने एक रिपोर्ट भी जारी की थी जिसके अनुसार विश्व भर की अर्थव्यवस्था को लगभग 9 ट्रिलियन डॉलर का नुकसान सहना पड़ा। वहीं, हम केवल भारत की अर्थव्यवस्था की बात करें तो यह 1991 के उदारीकरण के बाद सबसे खराब रही।
भारत सरकार ने अन्य देशों की तरह इस महामारी से बचने के लिए लॉकडाउन का सहारा लिया। सरकार द्वारा “जान भी जहान भी” का नारा देते हुए इसे क्रमबद्ध तरीके से खोला गया। इस बीच बहुत सारे नकारात्मक बदलावों के साथ-साथ सकारात्मक बदलाव भी देखने को मिले।
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नकारात्मक बदलाव
लॉकडाउन के शुरुआती दौर में उद्योग, फैक्ट्रियां इत्यादि बंद करने पड़े जिससे लोग बेरोजगार हो गए और इस पर सबसे ज्यादा असर रोजाना के कमाने खाने वालों के ऊपर पड़ा। देश के अलग-अलग राज्यों में प्रवासी मजदूर एवं श्रमिक पैदल ही अपने घर जाते मजबूर दिखे। इसके साथ ही, लोगों के शारीरिक ही नहीं बल्कि मानसिक स्वास्थ्य पर भी प्रभाव पड़ा। महिलाओं पर घरेलू हिंसा में काफी इजाफा हुआ, सेक्स वर्कर्स को भी मुश्किलों से गुजरना पड़ा।
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सकारात्मक बदलाव
कोरोना महामारी के चलते नकारात्मक बदलावों के साथ-साथ बहुत सारे सकारात्मक बदलाव भी हमारे सामने आए। लॉकडाउन का सबसे बड़ा प्रभाव हमारे पर्यावरण में देखने को मिला। कारखानों, विभिन्न वाहनों के धुएं, गंदगी फैलाने वाली गतिविधियां बंद होने से वायु की गुणवत्ता में काफी सुधार देखने को मिला। विश्व की विभिन्न नदियों पर न जाने अब तक कितने पैसे खर्च किए जा चुके होंगे लेकिन लॉकडाउन ने एक झटके में ही नदियों के पानी को निर्मल रूप दिया।
संपूर्ण विश्व में मानवतावाद का उदय देखने को मिला। लॉकडाउन में गरीब तबके की मदद के लिए समाज के बड़े तबके के लोगों के साथ-साथ आम लोग भी उनकी मदद के लिए सामने आए। सोनू सूद, सलमान खान इत्यादि अच्छा उदाहरण बने।
डॉक्टर, पुलिस, सफाई कर्मचारी, को हम पहले से ज्यादा सम्मानित नजरों से देखने लगे, हमारा विश्वास उनपर पहले के मुकाबले और भी बढ़ा। आज भारत के स्वास्थ्य जगत में भी काफी सुधार देखने को मिला है। साथ ही, घरों में रहने के कारण हमारे पारिवारिक संबंधों में भी मिठास आई।
इन बदलावों में सबसे बड़ा बदलाव यह दिखा कि आज विश्व के विभिन्न देश वर्चुअल हो गए हैं। पढ़ाई की दिशा में ऑनलाइन शिक्षा को बहुत ही तेज गति के साथ बढ़ावा मिल रहा है। जिन गतिविधियों को सामान्य स्थिति में शुरू होने में 10 सालों का समय लगता, इस महामारी के कारण वह अब हो रहा है।
इस महामारी ने हमें बहुत कुछ सिखाया है, हमें इसके अनुभव को समेट कर रखने की जरूरत है। भविष्य में अगर इस प्रकार की महामारी आती है तो हम उसका मुकाबला किस प्रकार कर सकें यह हमने कुछ हद तक सीख लिया है।
साभार – राकेश कुमार ( जामिया मिल्लिया इस्लामियां)
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