शबनम सलीम डेथ वारंट की उल्टी गिनती शुरू, जानिए कैसा होता है महिला फाँसी घर।
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नई दिल्ली – अमरोहा के जिला अदालत में सबनम सलीम फांसी मामले में डेथ वारंट की उल्टी गिनती शुरू हो गयी है। सबनम सलीम की फाँसी को लेकर मथुरा जेल में महिला फांसी घर मे तैयारी होने लगी है।हालांकि इस संबंध में जेल प्रशासन को अभी कोई आधिकारिक जानकारी नहीं मिली है, लेकिन बक्सर जेल से रस्सी का एस्टीमेट मांगा गया है।
आपको बता दे कि मथुरा डिस्ट्रिक्ट जेल करीब 150 साल पुराना है। इस जेल का निर्माण साल 1870 में हुआ था। पूरे उत्तर प्रदेश में यह एक मात्र जेल है जहां महिला फांसी घर है, इसका उल्लेख जेल मैन्युअल में भी है।
अधिकारियों के मुताबिक अभी यह फांसीघर पूरी तरह से बना नहीं है। फांसीघर के नाम पर केवल एक छोटा सा निर्माण है। जिसमें अभी तक किसी भी महिला को फांसी ही नहीं दी गई।
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जेल अधिकारियों के अनुसार महिला फांसीघर में बहुत सी कमियां हैं। इसमें फांसी लगाने के लिए होने वाला लीवर (जिसे खींचने के बाद मुजरिम फंदे से लटक जाता है) और तख्ता आदि नहीं हैं। यहां तक कि सीढ़ियों की भी मरम्मत करानी पड़ेगी। मथुरा जेल के जेलर एमपी सिंह ने बताया कि अभी महिला फांसीघर अधूरा है। शबनम फांसी केस के संबंध में आधिकारिक रूप से उनके पास कोई सूचना नहीं है। हम केवल सामान्य साफ-सफाई करा रहे हैं।
पूर्व लॉ ऑफिसर सुनील गुप्ता के मुताबिक फांसी कब दी जानी है यह तो डेथ वारंट जारी होने से ही पता चलेगा। उन्होंने बताया कि जेल के मैनुअल के मुताबिक महिलाओं को तीन वजहों से फांसी पर नहीं चढ़ाया जा सकता। गुप्ता ने पहली वजह बताते हुए कहा कि अगर महिला गर्भवती है तो उसे फांसी नहीं दे सकते।
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इसके अलावा अगर कोई महिला किसी ऐसी बीमारी से पीड़ित है जो लाइलाज है और उसका ताउम्र इलाज चलना है, साथ ही वह बीमारी भी दुर्लभ है, तो ऐसे मामलों में भी महिला को फांसी नहीं हो सकती है। इसके अलावा अगर राष्ट्रपति उसकी दया याचिका पर विचार करते हुए उसे मान लें तो भी फांसी नहीं दी जा सकती है।
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