दहेज प्रथा के खिलाफ बोलने वाले नीतीश कुमार को कितना मिला था तिलक, जानिए इंटरकास्ट मैरिज और नीतीश की प्रेम कहानी
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पटना – कहा जाता है कि नीतीश कुमार अपने सिद्धांतों से कोई समझौता नहीं करते हैं। वह मानवहित में विश्वास रख दुरदृष्टी से समस्याओं का हल निकालते हैं। उनके कार्यशैली में सड़क, बिजली की समस्या ही नही बल्कि वह अपने समाज में सदियों से चली आ रही कुप्रथा के खिलाफ भी नीतियां तैयार करते हैं। यहीं कारण है कि बीते वर्षों में ऐसी कई योजनाएं और अभियान चलाएं गए जिसमें मानव कल्याण छुपा हैं, चाहे शराबबंदी का मामला हो, बेटियों को शिक्षा के प्रोत्साहन का मामला हो या फिर दहेज को लेकर। वह लगातार इन मुद्दों पर बोलते रहे हैं। शराबबंदी में करोड़ों का नुकसान झेलने के बावजूद नीतीश कुमार इसे समाजहित में देख दोबारा लागू करने की नहीं सोचते हैं।
इन दिनों एक खबर चर्चा में है कि दहेज प्रथा के खिलाफ बोलने वाले नीतीश कुमार खुद की शादी में दहेज लिए? यह सवाल थोड़ा अटपटा लगता है लेकिन इसकी सच्चाई जानने से पहले आपको बता दें कि एक वक्त अपनी शिक्षिका पर ही नीतीश कुमार का दिल आ गया था। नीतीश की राजनीतिक जिंदगी जितनी शानदार है उतनी ही दिलचस्प उनकी प्रेम कहानी भी है।
नीतीश की पत्नी मंजू नीतीश के बगल कि सियोदा गांव से ही थीं। पटना के मगध महिला कॉलेज में समाजशास्त्र की छात्रा थीं। आइए जानते हैं नीतीश कुमार की प्रेम कहानी ( Nitish Kumar and wife Manju Love Story) –
नीतीश की प्रेम कहानी परिवार वालों को भी पता चला, जिसके बाद परिवार के सहमति के साथ उन दोनों का शादी तय की गई। शादी तय होने के कुछ ही दिनों बाद नीतीश कुमार को पता चला कि उनके पिता ने मंजू के पिता से तिलक के रूप में 22,000 रुपए लिये हैं। बस फिर नीतीश अपने पिता और दहेज के विरोध मे खड़े हो गए। नीतीश ने ना सिर्फ दहेज का विरोध किया बल्कि जश्न या समारोह का भी विरोध किया। इस वजह से दोनों की 1973 में कोर्ट मैरिज हुई थी।
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नीतीश कुमार कुर्मी जाति से आते हैं, जो ओबीसी समुदाय के अंदर आता है और उन्होंने कभी इसी जाति के लवकुश समीकरण पर पहली बार मुख्यमंत्री की कुर्सी को हासिल किया था। वहीं, नीतीश की पत्नी मंजू का ताल्लुक कायस्थ जाति यानी सामान्य वर्ग से था।
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2007 में रेस्पिरेटरी फेल होने और सीवियर बाइलेटरल निमोनिया होने के वजह से मंजू का निधन दिल्ली स्थित मैक्स अस्पताल में हो गया था। अंतिम वक्त मंजू पटना में शिक्षिका के रूप मे कार्यरत थीं। पत्नी की अर्थी को कंधे पर उठाकर चिता तक ले जाने के दौरान लगातार रोते हुए उनकी तस्वीरों मंजू से उनकी मोहब्बत बयां कर रही थीं।
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