सीएम शिवराज के गांव में 10 फीसदी से भी कम हुए वैक्सीनेशन, लोगों ने कहा – एक लाख रूपया दो तो लगवाएंगे टीका
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भोपाल – एक माह पहले एक इंजेक्शन लगा, उसके बाद ऐसे बिमार पड़े की अस्पताल का कई चक्कर लगाना पड़ा, तो बाद में ठीक हुए। हमारे साथ जिन जिन लोगों ने इंजेक्शन लिया, वे सभी बिमार हो गए। एक हफ्ता तक बिमार रहे, अब आप ही बताएं, दूसरी डोज लेकर अस्पताल का चक्कर लगाएं या पेट की पूर्ती करें।
दैनिक भाष्कर में छपी यह रिपोर्ट 70 साल के फूलसिंह केवट का यह कहना हैं। फूलसिंह केवट सीहोर जिले के गांव जैत के केवट मोहल्ला रोड पर रहते हैं। जैत वही गांव है जहां से मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान आते हैं। नर्मदा किनारे बसे इस गांव में कोरोना के वैक्सीनेशन को लेकर भ्रम की स्थिति मिली तो युवा स्लॉट बुक नहीं होने से परेशान हैं।
कोरोना वैक्सीन को लेकर कई तरह की भ्रमित कहानियों से यहां के लोग भी ग्रसित हैं। इस गांव की मौजूदा स्थिति ये है कि 45 साल से ऊपर के लोगों में 10 फीसदी भी वैक्सीन नहीं हुई हैं। रिपोर्ट के मुताबिक 1350 लोगों के इस गांव में 420 लोग 45 साल से ऊपर के हैं। जिनमें केवल 276 लोगों ने पहला डोज लिया, और मात्र 38 लोगों ने दोनों डोज लिया हैं।
स्वास्थ्यकर्मी सोनम सोनी ने बताया कि जब यहां सातवीं बार टीकाकरण 17 मई को हुआ तो केवल चार गांव वालों ने ही वैक्सीन लगवाई। ऐसे में वैक्सीन खराब हुई। गांव वालों को टीकाकरण के लिए कहते तो वे बोलते कि इससे बुखार आ जाता है। हम नहीं लगवाएंगे। कोई कहता एक लाख रुपए दो, तब लगवाएंगे वैक्सीन।
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यहां अब तक 6 कोरोना पेशेंट्स मिल चुके हैं और सभी ठीक हैं। डेढ़ महीने में 6 मौत हुईं जिसके अलग-अलग कारण बताए गए। 4 मौतें 70 से 90 साल के बीच के लोगों की हुईं तो दो महिलाएं 40 और 65 साल की थीं। कहा गया कि दोनों को अटैक आया था।
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