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उत्तराखंड – भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और गृह मंत्री अमित शाह ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत को बुधवार को अचानक दिल्ली बुला लिया। इस बुलावे से सियासी गलियारों में हलचलें पैदा हो गई कि भाजपा हाईकमान फिर उत्तराखंड में नेतृत्व बदल सकती है। बताया जा रहा है कि भाजपा अगले साल उत्तराखंड में होने वाले विधानसभा चुनाव तीरथ सिंह की अगुआई में लड़ने के मूड में नहीं है। इसके अलावा तीरथ सिंह संवैधानिक अड़चनों में भी उलझे हैं।
30 जून की दोपहर दिल्ली पहुंचे तीरथ सिंह करीब 10 घंटे की लंबी इंतजार के बाद उनकी मुलाकात जेपी नड्डा और अमित शाह से हुई। मुलाकात गृहमंत्री के घर पर हुई। मुलाकात के बाद चर्चाएं तेज हो गई कि उत्तराखंड में लीडरशिप और अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर ही यह मीटिंग हुई हैं। दरअसल, भाजपा आलाकमान नहीं चाहता है कि ये चुनाव तीरथ सिंह रावत की अगुआई में लड़ा जाए। उत्तराखंड के दिग्गज भाजपाई भी इस पक्ष में नहीं हैं।
दरअसल, भाजपा की परेशानी ये है कि चुनाव से ठीक पहले सीएम परिवर्तन से फजीहत हो सकती है, पर भाजपा चुनाव हारने का खतरा भी मोल नहीं ले सकती। इससे पहले भी 2012 में भाजपा ने चुनाव से ऐन पहले रमेश पोखरियाल निशंक को हटाकर बीसी खंडूरी की चीफ मिनिस्टर बनाया था। हालांकि, भाजपा तब चुनाव हार गई थी।
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उसकी रणनीतिक सोच को देखते हुए कहा जा रहा है कि भाजपा इस बार भी जल्द ही CM का चेहरा बदल सकती है। सूत्रों ने उत्तराखंड के वरिष्ठ भाजपा नेता का नाम लिए बगैर कहा कि उन्होंने पार्टी आलाकमान के सामने ये कहा है कि विधायक उनके साथ हैं। ऐसे में पार्टी नेताओं के बीच मतभेद के साथ चुनाव में नहीं उतर सकती।
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