बिहार – जदयू में उभरने लगे बगावत के सुर, 16 वर्षों बाद अब कमोजर पड़ रहे हैं नीतीश
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पटना – बिहार की सियासत में घटनाक्रमों का दौर जारी हैं। कुछ दिनों पहले दिवंगत रामविलास पासवान की पार्टी में बड़ी बगावत देखी गई। चिराग पासवान को छोड़ एलजेपी के सभी सांसद बगावत कर गए। ऐसा ही कुछ नाजारा जनता दल यूनाईटेड के भीतर भी शुरू हो गया हैं। जेडीयू के कई नेता पार्टी के खिलाफ आवाज उठाने लगे हैं। ऐसे में नेतृत्व की ताकत पर सवाल उठने लगा हैं कि क्या अब भी वहीं नीतीश कुमार है जो 16 वर्षों तक लगातार बिहार की सियासत में दबादबा बनाते दिखे। समता पार्टी के गठन के बाद से नीतीश कुमार शायद ही किसी मौके पर कमजोर और कभी समझौतावादी रूख अपनाया हो।
नीतीश कुमार अपनी छवि इस प्रकार गढ़ चुके थे कि उनके साथ होने वाले हर शख्स को नीतीश कुमार की शर्तों पर चलना पड़ता। जनता दल यूनाईटेड के गठन के बाद जॉर्ज फर्नांडिस और शरद पवार जेसे नेताओं को भी नीतीश कुमार की तमाम शर्तें माननी पड़ी। लेकिन 2020 विधानसभा चुनाव ने सब कुछ बदलकर रख दिया हैं। आलम यह है कि अब नीतीश कुमार को उसी की जनता दल यूनाईटेड के भीतर आंख दिखाई जाने लगी हैं।
मौजूदा नीतीश सरकार में मंत्री मदन सहनी ने अपने ही सरकार को घरते हुए कहा कि मंत्रालय में अधिकारियों का दबदबा बढ़ गया हैं। अधिकारी मन मुताबिक पोस्टिंग कर रहे हैं। बिहार में अफसरशाही का आरोप लगाते हुए जिस तरह से मदन सहनी इस्तीफे की पेशकश की, दरअसल वह नीतीश कुमार के खिलाफ खुली बगावत मानी जा रही हैं।
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चार दिनों पहले जदयू के पूर्व विधायक मंजीत सिंह ने भी जदयू छोड़ने का ऐलान कर दिया था। जिसके बाद मंजीत सिंह को मनाने के लिए नीतीश कुमार को कई लोग लगाने पड़े।
मालूम हो कि जनता दल युनाईटेड के नेता और पूर्व विधायक महेश्वर सिंह ने एक दिन पहले ही आरजेडी का दामन थाम लिया हैं। महेश्वर सिंह ने बिहार की पूर्व राबड़ी देवी के आवास पर आरजेडी की सदस्यता ग्रहण की।
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इस बीच तेजस्वी यादव लगातार नीतीश कुमार पर भ्रष्टाचार को लेकर हमलावर हैं। तेजस्वी यादव ने कहा कि बिहार में बिना आरसीपी टैक्स या रिश्वत दिए कोई काम नहीं बनता हैं। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार के लिए नीतीश सरकार जिम्मेवार हैं। राज्य में कानून – व्यवस्था का पालन नहीं हो रहा हैं। बिहार की जनता भ्रष्टाचार से परेशान हैं और थके हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सो रहे हैं।
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