देवस्थान बोर्ड भंग सियासत का दौर जारी- पंडे-पुरोहितों में अभी भी भाजपा से नाराजगी
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देहरादून- उत्तराखंड राज्य सरकार ने देवस्थानम बोर्ड को भंग कर दिया हो लेकर इस मामले पर अब सियासत लगातार जारी है। भाजपा का मानना है कि अब संत समाज आगामी विधानसभा चुनावों में उसका साथ देगा। वहीं पंडे-पुरोहितों का गुस्सा अभी भी ठंडा नहीं पड़ा है। पंडे पुरोहितों का मानना है कि भाजपा हिंदुओं की ठेकेदार बनती है लेकिन फिर उनके अधिकारों को छीनने का प्रयास भी करती है यह दोहरा रवैया नहीं चलेगा। संत समाज से जुड़े लोगों का कहना है कि भाजपा अन्य पार्टी शासित राज्यों में मंदिर-मठों को सरकारी कब्जे से मुक्ति की बात करती है। उत्तराखंड जैसे राज्यों में जहां भाजपा की सरकार है वहां देवस्थानम बोर्ड बनाकर मंदिर पर कब्जे का कुचक्र रचा जाता है, भाजपा के इसी दोहरे चरित्र की वजह से उत्तराखंड के लोगों में नाराजगी है।
हार की डर डरी भाजपा
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दैनिक भास्कर डॉट कॉम से बातचीत में पुरोहित हक हकूकधारी महापंचायत के अध्यक्ष कृष्णकांत कोटियाल कहते हैं, ‘जो हिंदुओं के साथ छल नहीं करेगा, उसे हमारा साथ मिलेगा। बोर्ड भंग करवाने के लिए हमें कितने पापड़ बेलने पड़े ये तो हम ही जानते हैं। अंदर की बात तो यह है कि हमने साफ कह दिया था कि अगर सरकार ने बोर्ड भंग नहीं किया तो चार धाम की करीब 15 सीटों पर पुरोहित समाज के लोग चारधाम बोर्ड के बैनर तले चुनाव लड़ेंगे। उसके बाद से ही दिल्ली से लेकर राज्य तक कई अधिकारी और मंत्रियों ने हमसे संपर्क किया, बैठक की।’
कोटियाल कहते हैं, ‘PM की यात्रा से पहले हमसे मुख्यमंत्री पुष्करधामी, कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल, पर्यटन मंत्री, सतपाल महाराज सबने आकर हमसे निवेदन किया और बोर्ड भंग करने का आश्वासन दिया तब जाकर हमने मोदी जी की यात्रा बिना विरोध होने दी। नहीं तो इससे पहले हमने त्रिवेंद्र सिंह रावत को केदारनाथ नहीं आने दिया था। जब हमने चुनाव में सीधा टक्कर लेने की बात और PM की यात्रा का विरोध करने की बात कही तब जाकर बोर्ड भंग करने का फैसला लिया गया।’
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