यूपी विधानसभा 2022- सैनेट्री पैड्स का मुद्दा लेकर चुनाव में होंगे अर्थी बाबा, योगी- मोदी के खिलाफ ठोक चुके है ताल
गोरखपुर – यूपी के गोरखपुर जिले में एक ऐसा शख्स, जो लगभग सभी तरह के चुनावों में अपना ताल ठोकता है। यही नहीं उस शख्स के वोट मांगने के तौर–तरीके से भी लोग हैरानी में पड़ जाते हैं। इलेक्शन के दौरान जब 4 कंधो पर सवार होकर एक अर्थी सरकारी कार्यालय में चुनाव का पर्चा भरने पहुंचती है, तब यह दृश्य देख हर व्यक्ति दंग रह जाता हैं। हम बात कर रहे हैं गोरखपुर के रहने वाले अर्थी बाबा की।
अर्थी बाबा का वास्तविक नाम राजन यादव है, वह एमबीए पास कर चुके है। अर्थी बाबा हर बार की तरह इस बार भी 2022 के विधानसभा चुनाव में कुछ नया करने जा रहै हैं। MLC से लेकर MLA और MP का अब तक 13 बार चुनाव लड़ चुके अर्थी बाबा इस बार भी विधानसभा चुनाव की हुंकार भरेंगे। अर्थी पर लेटकर चुनाव का पर्चा दाखिल करने से लेकर श्मशान पर चुनाव कार्यालय बनाने वाले राजन उर्फ अर्थी बाबा का इस बार का विधानसभा चुनाव मुदृा कुछ बेहद खास होगा।
साल 2022 के विधानसभा चुनाव में वे इस बार सैनेट्री पैड्स का मुद्दा लेकर मैदान में आ रहे हैं। उनका कहना है कि करोड़ों-अरबों रुपए की विकास परियोजनाओं की सौगात देने वाली सरकार लड़कियों और महिलाओं को निशुल्क सैनैट्री पैड्स नहीं उपलब्ध करा सकी, जिससे लगातार बीमारियां बढ़ती जा रही हैं और जागरूकता के अभाव में महिलाएं आज भी पैड्स के इस्तेमाल से वंचित हैं।
जानिए कौन है अर्थी बाबा
गोरखपुर के नंदानगर कूड़ाघाट के निवासी धनपत यादव के पुत्र राजन यादव उर्फ ‘अर्थी बाबा’ ने MBA की पढ़ाई की है। साल 2007 में वे पहली बार राजनीति में आए और पहली बार यहां की पिपराइच सीट से विधानसभा चुनाव मैदान में उतरे। तभी से लेकर आज तक ऐसा कोई चुनाव नहीं हुआ, जिसमें उन्होंने अपनी भाग्य नहीं आजमाई हो। राजन यादव ( अर्थी बाबा) के चुनाव प्रचार के तरीकों से लेकर उनके चुनावी मुदृे भी अजीबो गरीब होते हैं। यही वजह है कि राजन यादव हमेशा सुर्खियों में बनें रहते हैं। इसके अलावा वे तमाम मुदृों को लेकर हमेशा आंदोलन करते हुए भी नजर आते हैं।
योगी – मोदी के खिलाफ भी लड़ चुके है चुनाव
अर्थी बाबा की खास बात यह है कि 2007 से लेकर अब तक वे 13 बार चुनाव मैदान में अपनी भाग्य परख चुके हैं। गोरखपुर से साल 2009 में योगी आदित्यनाथ से लेकर 2014 और 2019 में बनारस से पीएम मोदी तक के खिलाफ वे चुनाव लड़ चुके हैं।
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