हैप्पी बर्थडे Sushil Modi: एक ऐसा नेता जिसने अकेले दम पर लालू फैमली को सत्ता से वनवास भेजा, देखते ही देखते पलट देते है सरकार
पटना – सुशील कुमार मोदी एक ऐसा नाम, जिसने बिहार की सियासत को कई बार अपने इशारों पर घुमाया है। जिसने ढ़ाई दशकों से लालू फैमली को नाम में दम किया और सत्ता से वनवास का राह दिखाया है।
भारत के आजादी के पांच साल बाद 5 जनवरी को बिहार के एक मारवाड़ी (बनिया) परिवार में जन्मे सुशील कुमार मोदी का पूरा राजनीतिक सफ़र लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार के साथ-साथ ही चला। तीनों राजनेता 70 के दशक में छात्र आंदोलन से मुख्यधारा की राजनीति में आए। सुशील मोदी ने भी लालू प्रसाद यादव की ही तरह पटना यूनिवर्सिटी के बीएन कॉलेज से ग्रेजुएशन किया है। रत्नादेवी और मोती लाल मोदी के पुत्र सुशील मोदी युवाकाल से ही पुरानी मान्यताओं के प्रति बगावती तेवर दिखाते रहे। कॉलेज के दिनों से एबीवीपी के सदस्य रहे सुशील मोदी ने 1987 में जेसी जॉर्ज से शादी की थी।
ट्रेन में जेसी जॉर्ज को दिल दे बैठे थे, बेहद सादगी में की शादी
सुशील कुमार मोदी ने ट्रेन की यात्रा के दौरान जेसी जॉर्ज से मिले और उन्हें दिल दे बैठे। कहा जाता है कि उन्होंने अपनी शादी बेहद सादगी तरीके से की। शादी में न कोई भोज का इंतजाम था और ना नहीं मेहमानों को गिफ्ट लाने को कहा गया था। उनकी शादी लव मैरिज हुई।
माना जाता है कि जेपी आंदोलन के दौरान सुशील कुमार मोदी और लालू प्रसाद यादव साथ मिलकर ही काम करते थे। यहां तक कि मीसा कानून के तहत दोनों एक साथ जेल भी गए। लेकिन जब लालू प्रसाद यादव मुख्यमंत्री बने उसके बाद से सुशील मोदी ने उनकी कार्यशैली को देखते हुए अपनी राह अलग कर ली।1967 में आरएसएस के वरिष्ठ नेता गोविंदाचार्य के संपर्क में आए सुशील मोदी शुरुआत से ही सादगी पसंद रहे।
सुशील मोदी ने 1990 में विधायक बनने के बाद बिहार बीजेपी को जमीन पर मजबूत करने में अहम रोल निभाते रहे। सुशील मोदी वर्ष 1996 में चारा घोटाले में पटना हाईकोर्ट में सीबीआई जांच की मांग को लेकर याचिका दायर करने वालों में से एक थे। यह पहला मौका था जहां से सुशील मोदी तथ्य और दस्तावेज के साथ लालू प्रसाद यादव के पीछे पड़े। तब से लेकर आज तक सुशील मोदी आए दिन ना केवल लालू यादव और राबड़ी देवी राज के भ्रष्टाचार मामलों को उजागर करते रहते हैं बल्कि वह उनके बच्चों तेजस्वी यादव, तेजप्रताप यादव और मीसा भारती पर भी गंभीर आरोप लगाते रहते हैं।
राजनीतिक जीवन
बिहार के डिप्टी सीएम रहे सुशील कुमार मोदी पहली बार 1990 में विधायक चुनकर बिहार विधानसभा पहुंचे। इसके बाद 1995 और 2000 में भी विधायक चुने गए। सुशील मोदी ने ही पहली बार चारा घोटाले में पटना हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। 2004 में उन्होंने भागलपुर से लोकसभा चुनाव लड़ा और जीतकर संसद पहुंचे। 2005 में बिहार में एनडीए की सरकार बनी तो सुशील मोदी ने लोकसभा सांसद के पद से इस्तीफा दिया और बिहार के उपमुख्यंत्री बन गए।
इसके बाद पार्टी को मजबूती देने प्रचार कार्य में अहम रोल निभाने की वजह से सुशील मोदी ने 2010 और 2015 में बिहार विधानसभा चुनाव नहीं लड़ा। बाद में जेडीयू-आरजेडी गठबंधन की सरकार गिरने के बाद सुशील मोदी एक बार फिर 27 जुलाई, 2017 को बिहार के उपमुख्यमंत्री बने। 2005 से 2020 के बीच सुशील मोदी तीन बार उपमुख्यमंत्री बने। बिहार को जंगल राज से बाहर ला कर विकास की राह पर आगे बढ़ने में सुशील कुमार मोदी की अहम् भूमिका रही थी। 2020 के चुनाव में एनडीए सफल रही, बस अंतर इतना रहा कि जेडीयू की सीटें कम हो गईं और बीजेपी बड़ी पार्टी बन कर उभरी। सुशील कुमार मोदी के समर्थकों को लगने लगा था कि शायद इस बार वह ही मुख्यमंत्री बनेंगे। लेकिन उन्हें बिहार की राजनीति से दूर राज्यसभा में भेज दिया गया।
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