दीपक बल्यूटिया ने मुख्यमंत्री की रैली को बताया फ्लॉप शॉ
भर्ती घपले में हाईकोर्ट के सिटिंग जज की निगरानी में जाँच की माँग कर दिया अपनी विफलता का प्रमाण- बल्यूटिया
हल्द्वानी- कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता दीपक बल्यूटिया ने प्रदेश की भाजपा सरकार को विफल बताते हुए नैतिकता के आधार पर इस्तीफा देने की मांग की है। बुधवार को कैंप कार्यालय में पत्रकार वार्ता करते हुए बल्यूटिया ने कहा कि जब मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी अपनी संवैधानिक संस्थाओं से काम नहीं करा सकते तो ऐसे में उन्हें पद पर बने रहने का कोई अधिकार नहीं है।
धामी सरकार ने भर्ती घपले में हाईकोर्ट के सिटिंग जज की निगरानी में जाँच करने की माँग करके सरकार की विफलता के प्रमाण दे दिया है। मुख्यमंत्री धामी के इस निर्णय से साफ हो गया कि सरकार को सरकारी व संवैधानिक संस्थाओं से भरोसा उठ गया है तभी सरकार को जाँचों के लिए उच्च न्यायालय से जाँच की गुहार लगानी पड़ रही है। बल्यूटिया ने मुख्यमंत्री की आभार रैली को फ्लॉप शो कहा उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री की रैली में आधी से ज्यादा कुर्सी खाली रह गए। कुमाउं के युवाओं ने मुख्यमंत्री की इवेंट मैनेजमेंट को नकार दिया है।
सबकुछ उच्च न्यायालय से ही कराना है तो खुद की पीठ थपथपाना बंद करे धामी सरकार
बल्यूटिया ने कहा आज अपनी विफलताओं को ढकने के लिए नकल विरोधी लागू करने पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की युवा आभार रैली का आयोजन के माध्यम से अपने ही कार्यकर्ताओं से अपनी पीठ थपथपाने का काम कर रहे हैं। जो कि भाजपा की परंपरा है।दीपक बल्यूटिया ने कहा कि महान विभूति बाबा भीम राव अम्बेडकर जिन्होंने भारत का महान संविधान बनाया उन्हें स्वागत व आभार कराने का ख़्याल क्यों नहीं आया होगा। आजादी से अब तक जनहित में कई कानून बनाए गए मगर इस तरह अपने ही कार्यकर्ताओं से किसी ने अपनी पीठ नहीं थपथपाई ।हद तब हो गई जब चापलूसी करते -करते मुख्यमंत्री जी ने तो ओबीसी सम्मेलन में ओबीसी को आरक्षण देने का भी खिताब भी प्रधानमंत्री जी नाम दर्ज कर दिया जबकि ओबीसी के आरक्षण का संविधान में धारा 335, 342 में पहले से ही प्रावधान है।
विफलता के लिए नैतिकता के आधार पर इस्तीफा दे धामी सरकार: बल्यूटिया
जबकि खास बात यह है कि सभी भर्ती घोटालों की जांच के लिए सरकार उच्च न्यायालय की शरण में जा रही है। सरकार खुद मान रही है कि जितने भी भर्ती घोटाले हुए हैं उनकी जांच माननीय उच्च न्यायालय के पदेन जज की निगरानी में हो। यानी इससे मुख्यमंत्री धामी ने यह माना है कि हमारी जो संवैधानिक संस्थाएं हैं उनका उन पर से विश्वास उठ गया है। अब जब मुख्यमंत्री का खुद सरकारी संस्थाओं से ही विश्वास उठ गया है तो उन्हें भी पद पर बने रहने का कोई अधिकार नहीं है। आज स्थिति यह है कि खुद धामी सरकार को न्यायालय की शरण में जाना पड़ रहा है। इससे तो सरकार का औचित्य ही खत्म हो गया। यानी मुख्यमंत्री धामी ने अपनी ही सरकार की विफलता के रिपोर्ट कार्ड में खुद मोहर लगाई है। दूसरी बात इसरो ने जोशीमठ को लेकर जो चित्र जारी किए थे, इस सरकार ने उस पर भी कोई ध्यान नहीं दिया। अंकिता हत्याकांड में सरकार की भूमिका संदिग्ध रही। पूरा प्रदेश मामले की सीबीआई की जांच की मांग कर रहा था। जनता इस हत्याकांड में संदिग्ध वीआईपी चेहरे को बेनकाब करना चाहती थी, मगर उसको बचाने का काम भाजपा सरकार ने किया। रोजगार को लेकर और भ्रष्टाचार के खिलाफ प्रदेश के युवा संवैधानिक तरीके से अपनी मांग को उठा रहे हैं, किन्तु यह सरकार उनका डंडों से स्वागत कर रही है। यह सरकार प्रदेश के युवाओं और छात्र-छात्राओं के संवैधानिक अधिकारों का भी कत्ल करने में जुटी हुई है। प्रदेश के युवा छात्र-छात्रा भयभीत हैं कि यदि वह अपनी मांग को सरकार के समक्ष किसी भी तरीके से उठाते हैं तो उनके खिलाफ मुकदमे दर्जन ना हो जाए। बल्यूटिया ने कहा कि प्रदेश सरकार की नकारात्मक मानसिकता से प्रदेश का युवा वर्ग और छात्र-छात्राएं सहमे हुए हैं। ऐसे में ऐसी सरकार का कोई औचित्य नहीं है। हम महामहिम राज्यपाल महोदय से भी सरकार की इस विफलता का संज्ञान लेने की मांग करते हैं।
उत्तराखण्ड राज्य आंदोलनों का राज्य बन गया है। चारों तरफ अपनी माँगों को लेकर धरने प्रदर्शन हो रहे हैं लेकिन सरकार को कुछ दिखाई नहीं दे रहा बजाय जनता की पीड़ा को सुनने समझने के लाठियाँ बरसाकर उनकी आवाज दबाकर लोकतंत्र की हत्या करने का काम किया जा रहा है।
हल्द्वानी में क्या कहा मुख्यमंत्री ने
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आज हल्द्वानी में नकल विरोधी कानून, आभार रैली में को सम्बोधित किया। इस दौरान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि आपके हिस्से की सफलता का कोई और लाभ न उठा सके इसके लिए हम कड़े से कड़ा सरकार यह निर्णय लेने जा रही है । सीएम ने कहा समूह ‘ग’ की कोई भी परीक्षा चाहे वह लोक सेवा आयोग से बाहर की हो या लोक सेवा आयोग के द्वारा कराई जा रही हो। सभी परीक्षाओं में साक्षात्कार की व्यवस्था तत्काल प्रभाव से समाप्त कर दी जाय। उन्होंने कहा कि इसमें तकनीकी और गैर तकनीकी पद भी सम्मिलित होंगे अर्थात् जेई जैसे तकनीकी पदों में भी साक्षात्कार की व्यवस्था पूर्ण रूप से समाप्त कर दी जाएगी। हमारी सरकार यह भी निर्णय लेने जा रही है, उच्च पदों में जहाँ साक्षात्कार आवश्यक हो, जैसे- पीसीएस या अन्य उच्च पद वहाँ भी साक्षात्कार का प्रतिशत कुल अंकों के 10 प्रतिशत से ज्यादा न रखा जाय।