Thejantarmantar
Latest Hindi news , discuss, debate ,dissent

- Advertisement -

भारतीय पत्रकार ने लगाए गए भेदभाव के आरोप, बीबीसी ने मुंह फेरा, पढ़ें अमेरिकी अखबार की रिपोर्ट

0 211

Get real time updates directly on you device, subscribe now.

- Advertisement -

एक भारतीय आंतरिक दस्तावेज के अनुसार, कंपनी ने भेदभाव के उनके दावों की समीक्षा की और फैसला सुनाया कि उनकी शिकायतों में कोई दम नहीं है। ‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि उनका कॉन्ट्रैक्ट जल्द ही समाप्त होने वाला था, उसको रिन्यू नहीं किया गया था।

अमेरिका के एक प्रमुख दैनिक ने सोमवार को दलित समुदाय से ताल्लुक रखने वाली पत्रकार मीना कोटवाल पर लेख प्रकाशित किया है। इस लेख में मीना की विकास यात्रा के बारे में बताया गया है कि कैसे उन्होंने एक न्यूज आउटलेट को शुरू किया और उससे हाशिए के समाज की असल कहानियों को बताया। लेख में मीना ने बताया है कि उनका बीबीसी के साथ जुड़ने का अनुभव कैसा रहा। महिला पत्रकार के मुताबिक उन्हें बीबीसी के साथ काम करने के दौरान कथित तौर पर सार्वजनिक अपमान और भेदभाव का सामना करना पड़ा।

‘द न्यूयॉर्क टाइम्स’ की रिपोर्ट के मुताबिक, न्यूज पोर्टल ‘द मूकनायक’ की संस्थापक मीना कोटवाल एक न्यूज आउटलेट शुरू करना चाहती थीं, जो हाशिए पर पड़े समुदायों पर केंद्रित हो। मीना मानती थीं कि लाखों ऐसे लोगों हैं जिनकी कहानियों को बताने की आवश्यकता है। रिपोर्ट के मुताबिक, मीना ने वर्ष 2017 में बीबीसी के हिंदी भाषा की सेवा के लिए काम किया। इस दौरान उन्हें सार्वजनिक अपमान भेदभाव का सामना करना पड़ा। इसलिए, बीबीसी के साथ मीना का सफर लंबे समय तक नहीं चल सका।

रिपोर्ट के मुताबिक, बीबीसी के एक प्रभावशाली जाति के सहयोगी ने मीना को अपनी जाति का खुलासा करने के लिए कहा और फिर उन्हें सहयोगियों के पास भेजा। न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक, यह उस चीज की शुरूआत थी, जिसे उन्होंने काम पर सार्वजनिक अपमान और भेदभाव के रूप में वर्णित किया है।

- Advertisement -

मीना कोटवाल ने खुलासा किया कि उन्होंने अपने बॉस से इस बात की शिकायत भी की लेकिन उनकी शिकायत को दरकिनार कर दिया गया। बीबीसी में दो साल रहने के बाद जब उन्होंने लंदन में बीबीसी के अधिकारियों के साथ एक आधिकारिक शिकायत दर्ज की, तो उन्हें बताया गया कि उनका कॉन्ट्रैक्ट रिन्यू नहीं किया गया है। इसके साथ ही उनकी शिकायत खारिज कर दी गई। उनके (कोतवाल) के बॉस ने उसकी चिंताओं को दरकिनार कर दिया।

- Advertisement -

न्यूयॉर्क टाइम्स द्वारा देखे गए संदेशों के मुताबिक, प्रभावशाली जातियों के लोगों से अक्सर सुनी जाने वाली एक बात का इस्तेमाल किया जाता था, जिसमें कहा जाता था कि आधुनिक भारत में दलित अब मौजूद नहीं हैं। उनकी शिकायत सुनने से न सिर्फ इनकार किया गया, बल्कि उनके समुदाय के अस्तित्व से भी इनकार किया गया। नौकरी पर दो साल के बाद मीना ने लंदन में बीबीसी के अधिकारियों के साथ एक आधिकारिक शिकायत दर्ज की।

एक आंतरिक दस्तावेज के अनुसार, कंपनी ने भेदभाव के उनके दावों की समीक्षा की और फैसला सुनाया कि उनकी शिकायतों में कोई दम नहीं है। ‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि उनका कॉन्ट्रैक्ट जल्द ही समाप्त होने वाला था, उसको रिन्यू नहीं किया गया था। जब न्यूयॉर्क टाइम्स ने इस घटना पर और स्पष्टीकरण के लिए बीबीसी से संपर्क किया, तो बीबीसी ने मामले के विस्तार में जाने से इनकार कर दिया और कहा कि वह कर्मियों के व्यक्तिगत मामलों पर चर्चा नहीं करता है और पूरी तरह से भारतीय कानून का अनुपालन करता है।

बीबीसी भारतीय के लंदन स्थित एक प्रवक्ता ने न्यूयॉर्क टाइम्स से कहा, हम जानते हैं कि एक वैश्विक संगठन में करने के लिए हमेशा बहुत कुछ होता है, लेकिन हम अपने साथ काम करने वाले लोगों की विविधता के मामले में महत्वपूर्ण प्रगति कर रहे हैं।

- Advertisement -

Leave A Reply

Your email address will not be published.

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More