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सोमवती अमावस्या: सूर्योदय होते ही सोमकुंड और रामघाट पर शुरू हुआ स्नान, 30 साल बाद बन रहा विशेष योग

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सोमवती अमावस्या पर सोमतीर्थ कुंड में स्नान का पौराणिक महत्व है। इसी कारण आज सुबह देशभर से आए हजारों श्रद्धालुओं ने रणजीत हनुमान के पास स्थित सोमतीर्थ कुंड और रामघाट पर आस्था से स्नान कर पुण्य लाभ अर्जित किया। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए सोमकुण्ड पर पीएचई और नगर निगम का अमला व्यवस्था में जुटा रहा। कुंड में साफ पानी भरने और फव्वारे लगाने के साथ यहां बैरिकेडिंग, कपड़े बदलने के शेड, पीने के पानी, चिकित्सा की व्यवस्था की गई।

सोमवती अमावस्या पर सर्वार्थ सिद्धि योग में देशभर से आए हजारों श्रद्धालुओं ने शिप्रा व सोमकुंड में स्नान किया। सुबह से शुरू हुआ स्नान का सिलसिला देर शाम तक चलेगा। आस्थावानों ने तीर्थ स्थल पर दान पुण्य कर ज्योतिर्लिंग महाकाल सहित शहर के अन्य मंदिरों में दर्शन व पूजन अर्चन किया। वैसे तो पर्व स्नान के लिए देशभर से लोगों के उज्जैन पहुंचने का सिलसिला रविवार रात से शुरू हो गया था। लोगों ने शिप्रा व सोमतीर्थ पर भजन कीर्तन कर रात गुजारी। सोमवार को जैसे ही सूर्योदय हुआ स्नान का क्रम शुरू हो गया।

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प्रशासन ने श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए सोमतीर्थ स्थित सोमकुंड में फव्वारों का इंतजाम किया था। श्रद्धालुओं ने फव्वारों में स्नान कर तीर्थ क्षेत्र स्थित श्री सोमेश्वर महादेव के दर्शन व पूजन किया। इधर, शिप्रा के रामघाट व दत्त अखाड़ा घाट पर स्थानीय के साथ दूरदराज से आए भक्तों ने शिप्रा जल में आस्था की डुबकी लगाई। सुबह के समय शिप्रा के घाटों पर सिंहस्थ जैसा नजारा दिखाई दिया। स्नान के बाद लोगों ने ब्राह्मणों को दान, दक्षिणा तथा भिक्षुकों को भोजन भी कराया।

30 वर्ष बाद कुंभ राशि के चंद्र, शनि और सूर्य का संयोग
पं. अमर डिब्बेवाला ने बताया कि इस वर्ष अमावस्या पर सोमवार का दिन धनिष्ठा नक्षत्र परिघ योग उपरांत शिवयोग, नाग करण तथा कुंभ राशि के चंद्रमा की साक्षी है। इस प्रकार के योग संयोग में देवी लक्ष्मी की आराधना तथा पितरों के निमित्त तर्पण पिंडदान करने से अनुकूलता होती है। शनि का एक राशि में परिवर्तन ढाई साल के बाद होता है पुन: इसी राशि में आने में करीब 30 वर्ष का समय लगता है। इस दृष्टि से शनि का कुंभ राशि में आना और अमावस्या पर सूर्य, चंद्र के साथ युति बनाना पितृ कर्म के दृष्टिकोण से विशेष माना जाता है।

महिलाओं ने किया वट वृक्ष का पूजन
फाल्गुन कृष्ण पक्ष की अमावस्या को वट सावित्री अमावस्या भी कहा जाता है। इस दिन सुख सौभाग्य की कामना से वट वृक्ष के पूजन का विधान है। इसी मान्यता के चलते सौभाग्यवती महिलाओं ने पति के दीर्घायु जीवन की कामना से वट वृक्ष का पूजन किया पश्चात कच्चा सूत बांधते हुए परिक्रमा भी लगाई। मान्यता है ऐसा करने से पति की आयु बढ़ती है तथा परिवार में सुख समृद्धि बनी रहती है।

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