नई दिल्ली- सत्य बहुमत पार्टी के संस्थापक नेता सत्यदेव चौधरी ने चांदनी चौक लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने का एलान किया है। नई दिल्ली में रायसीना रोड स्थित प्रेस क्लब ऑफ इंडिया के ऑडिटोरियम में “हमारे देश में बहुमत क्यों नहीं है परिभाषित” परिचर्चा के दौरान श्री चौधरी ने यह घोषणा की।
परिचर्चा के दौरान वरिष्ठ पत्रकार शीबा असलम फहमी, न्यूज़ एंकर हुसैन रिज़वी, राजनीतिक विश्लेषक संजीव कौशिक, परविंदर सेठी और अश्विनी मिश्रा के साथ-साथ विशिष्ट अतिथि मौजूद रहे।
वर्तमान संसदीय प्रजातंत्र में मतदाताओं को सशक्त बनाने की जरूरत पर जोर देते हुए चांदनी चौक से लोकसभा प्रत्याशी सत्यदेव चौधरी ने चार मंत्र दिए-
परिचर्चा के दौरान शीबा असलम फहमी ने बताया कि देश में लोकतंत्र कमजोर हो रहा है, संवैधानिक संस्थाओं को जानबूझकर कमजोर किया जा रहा है। यह सब करने के लिए संसद का इस्तेमाल हो रहा है। सांसद खरीदे-बेचे जा रहे हैं। सरकारें गिराने और बनाने के लिए भ्रष्ट तरीके इस्तेमाल हो रहे हैं।
न्यूज एंकर हुसैन रिजवी ने कहा कि आज देश में हर कोई ख़तरे में हैं। मुसलमानों को हिन्दुओँ से और हिन्दुओं को मुसलमानों से डर लगता है। ख़ौफ़ ही हुकूमत का आधार बन गया है। ऐसा लगता है कि देश बहुसंख्यकवाद की ओर बढ़ रहा है।
राजनीतिक विश्लेषक संजीव कौशिक ने कहा कि सत्य बहुमत का विचार वास्तव में लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए जरूरी है। जब तक मतदाताओं के प्रति संसद जवाबदेह नहीं होगी तब देश में लोकतंत्र मजबूत नहीं हो सकता। राजनीतिक विश्लेषक परविंदर सेठी ने कहा कि आज धन्नासेठों और बाहुबलियों पर सरकारें निर्भर हो चली हैं। यही समस्या की जड़ है। हर जगह नफ़रत का माहौल है जिसे खत्म करने के लिए जो कुछ भी लोकतांत्रिक तरीके से संभव है वह किया जाना चाहिए।
राजनीतिक विश्लेषक अश्विनी मिश्रा ने कहा कि लोकतंत्र कमजोर हो रहा है सब कहते हैं लेकिन मजबूत करने के लिए योगदान करने कोई सामने नहीं आता। उन्होंने सवाल उठाते हुए इस बात पर हैरानी जताई कि लोकतंत्र को कमजोर करने के लिए केवल वर्तमान सरकार को दोषी क्यों और कैसे ठहराया जा सकता है?
सभा का संचालन करते हुए वरिष्ठ पत्रकार प्रेम कुमार ने कहा कि लोकतंत्र बहुसंख्यकवाद नहीं है। बहुमत में होकर भी अल्पमत को विश्वास में लेकर चलना ही लोकतंत्र है। लोकतंत्र के इस मूलभूत गुण को भुलाया जा रहा है। सत्य बहुमत की विचारधारा बहुमत से लोकतंत्र को आगे बढ़ाने की है, बहुसंख्यकवाद को बढ़ावा देने की कतई नहीं।