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दिल्ली में आरोप तय नहीं लेकिन नौ साल की सजा, कोर्ट ने NIA से पूछा क्या मामला

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दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत दर्ज मामले में नौ साल से अधिक समय से जेल में बंद एक आरोपी की जमानत याचिका पर राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) से जवाब मांगा है। बंदी ने आरोप लगाया है कि ट्रायल में देरी के कारण उसे बिना सुनवाई जेल में रहना पड़ रहा है। इतना ही नहीं अभी तक मामले में आरोप भी तय नहीं हुए।

इंडियन मुजाहिदीन के कथित संचालक मंजर इमाम को अगस्त 2013 में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) द्वारा दर्ज एक मामले में गिरफ्तार किया गया था। आरोप लगाया गया था कि उसने अन्य लोगों के साथ मिलकर आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने की साजिश रची और देश में प्रमुख स्थानों को निशाना बनाने की तैयारी की।

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न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत और न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्ण की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई मार्च तय करते हुए कहा याचिका में देरी के आधार के अलावा मामले के गुण-दोष के आधार पर भी जमानत की मांग की गई है।

इमाम को एक विशेष अदालत ने 28 नवंबर को जमानत देने से इनकार कर दिया था। पिछले साल अक्टूबर में हाईकोर्ट ने विशेष अदालत को 75 दिनों की अवधि के भीतर उसकी जमानत याचिका पर सुनवाई करने और उसका निस्तारण करने के लिए कहा था।

जिस प्राथमिकी में इमाम आरोपी है, उस पर यूएपीए की धारा 17, 18, 18बी और 20 और भारतीय दंड संहिता की धारा 121ए और 123 लागू होती है। 2021 में इमाम ने उच्च न्यायालय के समक्ष एक और याचिका दायर की थी, जिसमें ट्रायल कोर्ट के समक्ष उनके मामले में दिन-प्रतिदिन सुनवाई की मांग की गई थी, जिसमें कहा गया था कि एनआईए मामलों में आरोपी मुकदमे में देरी के कारण वर्षों से जेल में बंद हैं।

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