यूपी में बीजेपी की इन विधायकों के कटेंगे टिकट, लचर प्रदर्शन से खुश नहीं है नेतृत्व
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लखनऊ- उत्तर प्रदेश में होने वाले आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर सभी दल अपनी तैयारी में जुटे हैं। इस बार यूपी फतह करने के लिए कांग्रेस से लेकर सपा पूरे जोर लगा रही है। कांग्रेस प्रियंका गांधी से चमत्कार की आस लगाए हुए हैं तो वहीं समाजवादी पार्टी अखिलेश यादव के नाम पर सत्ता में वापसी के बाट जोह रही है। लेकिन इस सबके बीच बीजेपी भी अपने विधायकों का मूल्यांकन कर रही है। इस तरीके से पार्टी नेतृत्व यह जानने की कोशिश कर रहा है कि कौन विधायक अपनी सीट से पार्टी को जिताने की स्थिति में हैं।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बीजेपी के ‘विधायक मूल्यांकन’ में ज्यादातर विधायक फेल ही साबित हो रहे हैं। जिसकी वजह से पार्टी नेतृत्व में चिंता है। पार्टी का प्रदेश नेतृत्व अब उन विधानसभाओं से नए चेहरे भी खोज रहा है जहां के विधायकों की स्थिति अच्छी नहीं हैं।
पश्चिम यूपी से है भाजपा के लिए बुरी खबर
पश्चिम यूपी की अधिकांश विधानसभाओं के भाजपा के लिए अच्छी खबर नहीं है। पार्टी नेतृत्व आगामी चुनावों के मद्देनजर पश्चिम यूपी से सबसे अधिक भाजपा विधायकों की टिकटों को काटेगा, और नए चेहरों को मौका दिया जाएगा। दरअसल पार्टी नेतृत्व में चिंता इस बात को लेकर हैं 4.5 साल के दौरान विधायक अपने अपने क्षेत्रों में नहीं दिखाई दिए। जिसकी वजह से आम जनता में नाराजगी है। दूसरा किसान आंदोलन के बाद पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पार्टी की स्थिति कमजोर हुई है। 2013 मुजफ्फरनगर दंगों के बाद जाट वोटर जो बीजेपी के साथ जुड़ा था वो अब बीजेपी से दूर जा रहा है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जाट राजनैतिक तौर पर काफी प्रभावी रहे हैं। 2017 में जैसी परिस्थिति अब नहीं हैं।
सम्राट मिहिर भोज प्रकरण ने गुर्जरों को भी कर दिया है बीजेपी से दूर
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दादरी में गुर्जर प्रतिहार सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा को लेकर ठाकुर और गुर्जर विवाद ने भी बीजेपी की स्थिति को कमजोर कर दिया है। जिस तरह से इन विवाद ने रूप लिया। ठाकुर और गुर्जरों में सम्राट मिहिर भोज को लेकर सोशल मीडिया पर युद्ध लड़ा गया साथ ही जेवर और दादरी के बीजेपी विधायकों की जो भूमिका इस पूरे विवाद में लोगों को नजर आई है उससे पूरा गुर्जर समाज नाराज है। जाटों के बाद पश्चिमी उत्तर प्रदेश में गुर्जर बड़ी तादाद में है। गुर्जर गौतमबुद्धनगर से लेकर सहारनपुर, मेरठ, बुलंदशहर और गाजियाबाद समेत पूरे पश्चिम यूपी में काफी प्रभाव रखते हैं। जिसकी वजह से बीजेपी नेतृत्व के माथे पर चिंता की लकीर हैं।
डैमेज कंट्रोल में जुटा बीजेपी नेतृत्व
विधायकों की मूल्यांकन रिपोर्ट के बाद उत्तर प्रदेश के बीजेपी नेतृत्व की चिंताएं बढ़ गई हैं। बीजेपी के प्रदेश नेतृत्व अब ऐसे विधायकों की लिस्ट बना रहा है जो अपने क्षेत्र में दिखाई नहीं दिए हैं या फिर जनता के साथ सीधा संवाद नहीं है अथवा जिन विधायकों का नाम किसी विवाद में रहा है या फिर वो विधायक जिन्होंने किसी जाति को कोई टिप्पणी है। ऐसे विधायकों का टिकट कटना तय है। उन विधायकों के टिकट भी खतरे में हैं जो अपनी विधानसभा के सामाजिक समीकरणों में फिट नहीं बैठ रहे हैं। बीजेपी नेतृत्व उन विधायकों के टिकट भी काटने पर विचार कर रहा है जो सीट जाट बाहुल्य है ताकि नए चेहरे को सामने करते किसान आंदोलन के प्रभाव को संतुलित किया जा सके।
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